योगी-केशव के हाथ थामकर PM मोदी ने दिया बड़ा संकेत, क्या है तस्वीरों के पीछे की सियासत?

कुमार अभिषेक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमूमन सरकारी कार्यक्रमों के मंचों पर किसी नेता का हाथ पकड़कर नहीं उठाते और चुनावी मंचों पर भी ऐसे दृश्य विरले ही दिखाई देते हैं. मगर जेवर के मंच पर जहां एयरपोर्ट के शिलान्यास का कार्यक्रम था, प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हाथ को पकड़ा और साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथ को थामकर भीड़ के सामने दोनों के हाथ उठा दिए.

प्रधानमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर योगी दाईं तरफ बैठें तो ठीक उनके बगल में बाईं तरफ केशव प्रसाद मौर्य बैठें. मंच पर यह साफ दिख रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी केशव प्रसाद मौर्य से काफी देर तक बातें करते रहे. पीएम मोदी ने मंच पर संबोधन के दौरान केशव प्रसाद मौर्य को कर्मठ और अपना पुराना साथी करार दिया.

इस सबके पीछे की सियासत को समझें तो एक बात साफ दिखाई देती है कि प्रधानमंत्री की यह कोशिश दिखी कि केशव प्रसाद मौर्य के मन में अगर कहीं भी कोई नाराजगी है तो उसे दूर किया जाए. लखनऊ एयरपोर्ट की तस्वीर से लेकर जेवर के मंच तक की तस्वीर यह बयां करती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही अब यूपी के दोनों शीर्ष नेताओं को एक मेज पर लाने की कोशिश शुरू कर दी है.

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दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य, दोनों की आपसी केमिस्ट्री का हाल सियासत में किसी से छुपा नहीं है. मगर आगामी विधानसभा चुनाव में इससे नुकसान ना हो जाए, शायद इसलिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इसे बैलेंस करने की कोशिश में दिख रहा है.

केशव प्रसाद मौर्य ने हालांकि अभी तक अपनी कोई नाराजगी सार्वजनिक नहीं की, लेकिन उनकी सक्रियता में आई कमी ने पार्टी के कान खड़े कर दिए.

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पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री मोदी ने सुल्तानपुर, महोबा और झांसी में बड़े सरकारी कार्यक्रम किए तो कि केशव प्रसाद मौर्य किसी मंच पर नजर नहीं आए. ऐसे में नाराजगी को सार्वजनिक किए बगैर पार्टी के लिए मैसेज साफ था, जिस वक्त अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ में डीजीपी कॉन्फ्रेंस के लिए 3 दिन रुके थे उसके पहले ही केशव प्रसाद मौर्य धार्मिक यात्रा पर निकल गए थे.

आखरी दिन जिस दिन प्रधानमंत्री लखनऊ से दिल्ली लौट रहे थे, उस दिन 2 तस्वीरें सामने आई थीं- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखकर चहलकदमी करते पीएम की तस्वीर और एयरपोर्ट पर केशव प्रसाद मौर्य की पीठ थपथपाते पीएम मोदी की तस्वीर. माना गया कि ये दोनों तस्वीरें डैमेज कंट्रोल की तस्वीरें थीं.

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योगी आदित्यनाथ की तरह केशव प्रसाद मौर्य भी फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से मौर्य की सक्रियता कम थी और यूपी चुनाव से पहले जिस तरीके से समाजवादी पार्टी ओबीसी कार्ड खेल रही है, उसे देखकर बीजेपी को भी लग रहा होगा कि अगर उसके ओबीसी वोट बैंक में एसपी ने सेंध लगाई तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ऐसे में अब प्रधानमंत्री के साथ मौर्य की तस्वीरों को समझने की कोशिश की जाए तो यह साफ हो रहा है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का 2022 की चुनावी सियासत के मद्देनजर मौर्य पर भी खास ध्यान है.

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