UP में बदलते रजनीतिक हालात पर नजर, मायावती ने 2024 चुनाव के लिए लखनऊ में किया बैठक का ऐलान

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Uttar Pradesh News: साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है. वहीं अगले साल की शुरुआत में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. वहीं विपक्षी दल एकजुट होकर एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए प्लान बना रहे हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा सांसद चुन कर भेजने वाले सूबे उत्तर प्रदेश में सियासी पारा हाई होना स्वभाविक है. लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती 21 जून को लखनऊ में बड़ी बैठक करने जा रही है. इसकी जानकारी खुद बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट कर दी है. बता दें कि बसपा की ये बैठक 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले हो रही है.

मायावती ने किया ये ऐलान

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा कि, ‘ उत्तर प्रदेश व देश में तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक हालात, उससे सम्बंधित ख़ास घटनाक्रमों एवं समीकरणों के साथ ही आगामी लोकसभा आम चुनाव की तैयारी आदि को लेकर बीएसपी यूपी स्टेट, सभी मण्डल तथा सभी ज़िला स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की महत्त्वपूर्ण रणनीतिक बैठक बुधवार को लखनऊ में बुलाया गया है.’

विपक्षी एकता से मायावती की दूरी

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की बड़ी बैठक आयोजित की है. इस बैठक में अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और तेलंगाना सीएम के. चंद्रशेखर राव समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है. नीतीश कुमार की कोशिश है कि कांग्रेस के बिना कोई गठबंधन न तैयार हो. हालांकि मायावती ने विपक्षी एकता को लेकर बैठक से दूरी बनाने के स्पष्ट संकेत दिए हैं.

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नये समीकरण की तरफ अखिलेश

वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने हाल ही में एक नए समीकरण के तरफ इशारा किया है. सपा प्रमुख ने हाल ही में कई मंचों पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को अगले साल के आम चुनावों में ‘पीडीए’ से हराया जाएगा, जिसे उन्होंने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक के रूप में परिभाषित किया. इसके साथ ही उन्होंने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को हराने का प्लान भी बताया और कहा कि अगर बड़े राष्ट्रीय दलों ने हमें समर्थन दिया तो सभी 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी हार जाएगी.

नीतीश कुमार की बैठक के बाद यह देखना अहम होगा कि यूपी में विपक्षी एकता कैसा स्वरूप लेती है. अभी तक तो अखिलेश, कांग्रेस और बसपा के सुर अलग-अलग ही नजर आ रहे हैं. आगे चलकर इनमें क्या बदलाव आए, इसपर नजर रहेगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि यूपी की 80 लोकसभा सीटें यह तय करेंगी कि 2024 में केंद्र के नेतृत्व का जिम्मा किस दल को मिलेगा.

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