लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर लोकसभा में हंगामा, राहुल ने की टेनी की बर्खास्तगी की मांग

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लखीमपुर खीरी में हिंसा के मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 15 दिसंबर को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया. इसमें राहुल ने लिखा, ”यूपी पुलिस की एसआईटी रिपोर्ट ने यह रेखांकित किया है कि किसानों का नरसंहार एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, यह लापरवाही की घटना नहीं थी…सरकार को गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिले.”

बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर ‘विपक्ष के हंगामे’ के बीच 15 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई. बाद में इसे 16 दिसंबर की सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया.

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ”वे हमें चर्चा नहीं करने दे रहे हैं. हमने कहा कि उनके मंत्री इसमें शामिल हैं, इस पर चर्चा तो होनी चाहिए, लेकिन वे चर्चा नहीं करने दे रहे.”

वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई चल रही है, सब-ज्यूडिश मैटर पर चर्चा नहीं होती है, यह संसदीय नियम है.”

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मंत्री टेनी की बर्खास्तगी की मांग पर गोयल ने कहा, ”जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जांच चल रही है, तो इस प्रकार की बातें बेबुनियाद हैं.”

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर कहा, ”जब ये साजिश के तहत किया गया तो साजिश में कौन-कौन शामिल था? मंत्री अजय कुमार टेनी भी जांच के दायरे में होने चाहिए. नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा देना चाहिए या तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए, ये हमारी मांग है. सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया है.”

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बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हाल ही में अदालत से कहा था कि चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या की घटना एक ‘‘सोची-समझी साजिश’’ थी. इसके साथ ही एसआईटी ने मामले में अधिक गंभीर आरोपों को शामिल किए जाने का अनुरोध किया था. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा इस मामले के 13 आरोपियों में शामिल हैं.

एसआईटी के आवेदन पर दलीलों को सुनने के बाद लखीमपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) चिंता राम ने एसआईटी को मुकदमे में हत्या के प्रयास की धारा समेत अन्य धाराएं जोड़ने की मंगलवार को इजाजत दे दी.

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एसआईटी ने मामले के 13 अभियुक्तों के वॉरंट में धारा 326 (खतरनाक हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाना), 34 (साझा मंशा से अनेक लोगों द्वारा कृत्य करना) और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/30 को भी जोड़ने की सिफारिश की थी.

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने बताया, ‘‘मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंता राम ने विशेष जांचकर्ताओं को मुकदमा संख्या 219 में 13 अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 326 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/25 को जोड़ने की अनुमति दे दी.”

उन्होंने कहा, ‘‘अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मंगलवार को मुकदमे से धारा 279, 338 और 304-अ हटाने की भी अनुमति दे दी.”

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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