UP में BJP के जनसंपर्क अभियान को लेकर जेपी नड्डा नाराज, इन सांसदों का टिकट पड़ा खतरे में!
UP Political News: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का जनसंपर्क अभियान सूबे के कई जिलों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया है. ऐसी…
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UP Political News: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का जनसंपर्क अभियान सूबे के कई जिलों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया है. ऐसी खबर है कि इसकी प्रगति से भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ज्यादा खुश नहीं हैं. जनसंपर्क अभियान को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अब भाजपा ने असफल नेताओं के सामने एक नई जिम्मेदारी रखी है. उन्हें एक बार फिर से बड़ी संख्या में लोगों को जुटाना होगा ताकि डिफॉल्टर जिलों में भी जनसंपर्क अभियान को सफल बनाया जा सके. यह अभियान अब 18 जुलाई 2023 तक बढ़ाया जाएगा.
इन सांसदों पर गिर सकती है गाज!
जून में पार्टी के जनसंपर्क अभियान के दौरान कई जिलों में भाजपा सांसदों की कमियां उजागर हुईं. लाभार्थियों की सार्वजनिक सभा आयोजित करने के लिए 10,000 की भीड़ निर्धारित की गई थी. मगर कम से कम एक दर्जन जिलों में भारतीय जनता पार्टी की भीड़ काफी कम रही, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा संतुष्ट नहीं थे. इस संबंध में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह से रिपोर्ट ली है. इन जिलों में अब सांसदों का टिकट खतरे में पड़ गया है.
इस जनसंपर्क अभियान के दौरान बीजेपी ने हर लोकसभा क्षेत्र में एक जनसभा का आयोजन किया था. इस जनसभा का लक्ष्य 10,000 लोगों को जुटाने का था. कई जिलों से सूचना मिली कि वहां सांसद भी भीड़ नहीं जुटा सके. हाल ही में जेपी नड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह से वर्चुअल बातचीत की थी और पूरी रिपोर्ट उनके सामने रखी थी.
इन जिलों में रही कम भीड़
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नोएडा, कन्नौज, जौनपुर, हाथरस, बहराइच जैसे जिलों में बहुत कम भीड़ जुटी. इसके अलावा, अत्यधिक गर्मी के बावजूद कई स्थानों पर जर्मन हैंगर स्थापित नहीं किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप कार्यक्रम में कम लोग शामिल हुए. इसी तरह घोसी और लालगंज के कार्यक्रम में भी कम भीड़ रही. इसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र में संबंधित प्रभारियों का प्रदर्शन कम रहा, जिसे मौजूदा सांसदों की प्रगति रिपोर्ट में ध्यान में रखा गया है.
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अब असफल नेताओं के सामने नई जिमेदारी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अब यह निर्णय लिया गया है कि लोगों को जुटाने के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करने के साथ कम प्रदर्शन वाले जिलों में फिर से अभियान शुरू किया जाएगा. इस बार सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ-साथ जनसंपर्क पर भी अधिक जोर दिया जाएगा. हालांकि इस कवायद में असफल अभियान की कमियों को पूरा किया जाएगा और मौजूदा प्रभारियों व सांसदों का आकलन किया जाएगा. जाहिर है, उत्तर प्रदेश में बीजेपी का जनसंपर्क अभियान वहां के कुछ जिलों में सफल नहीं हो सका, क्योंकि पार्टी ने असफल नेताओं के सामने नई जिम्मेदारी डाल दी है.
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