यादव परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में CBI ने कोर्ट को गुमराह किया: याचिकाकर्ता

भाषा

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समाजवादी पार्टी (एसपी) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे एवं पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ ‘आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति’ का मामला दायर कराने वाले याचिकाकर्ता ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस मामले के प्रमुख ‘आरोपियों’ को जेल भेजने के बजाय उनके करीबियों के ठिकानों पर छापे डलवा रही है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने एक संवाददाता-सम्मेलन में आरोप लगाया, ‘‘मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के खिलाफ दायर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने न्यायालय को गुमराह किया है.’’

चतुर्वेदी ने कहा कि सीबीआई कह रही है कि उसने 2013 में यह मामला बंद कर दिया लेकिन अगर ऐसा है तो उसकी कोई रिपोर्ट तो होगी और वह रिपोर्ट याचिकाकर्ता को मिलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध नहीं कराई है.

चतुर्वेदी के मुताबिक सीबीआई ने अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ ‘आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति’ मामले में प्राथमिक जांच 2013 में बंद कर दी थी.

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उससे पहले 2005 में चतुर्वेदी ने मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव और बहू डिंपल यादव के खिलाफ ‘आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति’ मामले में शिकायत की थी. उन्होंने जनहित याचिका दाखिल कर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.

चतुर्वेदी ने कहा, उनकी याचिका पर शीर्ष अदालत ने 2007 में सीबीआई को मामले की जांच के आदेश दिए थे. चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि यादव परिवार को केंद्र सरकारों का समर्थन करने के एवज में साल 2007 से अब तक संरक्षण मिल रहा है.

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