RSS वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ राष्ट्र हित में कार्य कर रहा: सीएम योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दृष्टिकोण और चिंतन प्रक्रिया वैज्ञानिक है और इसी आधार…
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दृष्टिकोण और चिंतन प्रक्रिया वैज्ञानिक है और इसी आधार पर यह राष्ट्रहित में कार्य कर रहा है.
विज्ञान भारती के पांचवें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय दृष्टि का विश्वास है कि नया ज्ञान, विज्ञान है. इस विज्ञान भारती को आरएसएस का संरक्षण प्राप्त है. आरएसएस का यह दृष्टिकोण और चिंतन प्रक्रिया वैज्ञानिक है और इसी दृष्टिकोण के साथ यह राष्ट्र के हित में कार्य कर रहा है.”
उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार एक चिकित्सक और वैज्ञानिक थे. उन्होंने कहा कि पूर्व आरएसएस प्रमुख गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) भी एक वैज्ञानिक थे और अन्य आरएसएस प्रमुखों का भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण था.
सीएम योगी ने कहा कि भारतीय दृष्टि कहती है कि किसी भी चीज को नष्ट नहीं किया जा सकता. लेकिन यह अपना स्वरूप बदल लेती है और यह एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है.
विक्रम संवत कैलेंडर के उपयोग को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हम आमतौर पर विभिन्न शुभ और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए विक्रम संवत पर आधारित पंचांग का संदर्भ लेते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर और विक्रम संवत पंचांग के बीच एक अंतर है. अंग्रेजी तिथियों में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है, जबकि विक्रम संवत में वैज्ञानिकता है.”
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उन्होंने कहा कि अंग्रेजी तिथियों में कोई मुहूर्त नहीं होता और अंग्रेजी के कैलेंडर में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की तिथियां हर साल बदलती हैं, लेकिन भारतीय पंचांग के मुताबिक चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को होता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या को होता है. योगी ने कहा, “हमारे ऋषियों ने बहुत पहले यह कह दिया था.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक पशु, पेड़-पौधे संवेदनशील होते हैं और दुनिया को यह विचार भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस द्वारा दिया गया. उन्होंने कहा कि महर्षि कनद ने अणु के बारे में बोला था और आज ‘गॉड पार्टिकल’ के बारे में बात की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में इसलिए पिछड़ गए क्योंकि हमने हमारे ज्ञान को धार्मिक दृष्टिकोण से अपनाया, लेकिन इसकी व्यवहारिक प्रकृति को अपनाने का प्रयास नहीं किया.”
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(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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