अखिलेश ने लिया बड़ा एक्शन, प्रदेश अध्यक्ष छोड़ भंग की सभी इकाइयां, जानें क्या है अब प्लान

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, यूपी एमएलसी चुनाव और यूपी लोकसभा उपचुनाव में मिली शिकस्त के बाद आज यानी रविवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक कड़ा एक्शन लिया. आपको बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तत्काल प्रभाव से समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर समाजवादी पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सहित राष्ट्रीय, राज्य कार्यकारिणी को भंग कर दिया है.

सपा ने ट्वीट कर कहा,

“समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी ने तत्काल प्रभाव से सपा उ.प्र. के अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय, राज्य, जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया है.”

समाजवादी पार्टी

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आपको बता दें यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन को 125 जबकि खुद सपा को 111 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. चुनावों में नतीजे पक्ष में न आने के बावजूद सपा ने अपने प्रदर्शन को संतोषजनक बताया था और बीजेपी पर धांधली का आरोप भी लगाया था.

इसके बाद हुए एमएलसी चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में भगवा छा गया. इस चुनाव में भी बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया. bata दें कि उत्तर प्रदेश में एमएलसी की कुल 36 सीटों पर मतदान होना था. इनमें से 9 सीटों पर भाजपा ने पहले ही जीत हासिल कर ली थी. भाजपा के 9 प्रत्याशी इस चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल कर चुके थे. बाकी 27 सीटों के लिए 9 अप्रैल को मतदान हुआ. मतगणना के बाद जब परिणाम सामने आए तो अधिकतर सीटें बीजेपी के खाते में गईं.

वहीं, हालिया रामपुर और आजमगढ़ में हुए लोकसभा के उपचुनाव में सपा अपने इन दोनों ‘किलों’ को बचाने में कामयाब न हो सकी. सपा के दोनों ‘गढ़ों’ पर बीजेपी ने भगवा लहराया. आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ जबकि रामपुर से घनशयाम लोधी ने जीत हासिल की.

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अब ऐसे में इतने चुनाव हारने के बाद सपा के भीतर संगठन को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे थे. माना जा रहा है कि इसी के मद्देनजर अखिलेश यादव ने यह बड़ा फैसला लिया है. वहीं, अखिलेश यादव की इस रणनीति को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. पार्टी की इकाइयों को भंग करने के बाद अब अखिलेश यादव बाई ढंग से संगठन को खड़ा करने की कोशिश कर सकते हैं.

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