अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में खाया पत्तलों पर खाना और UP को लेकर दिया ये सियासी संदेश, समझिए

आयुष अग्रवाल

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Up Politics: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party News) के चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) इन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं. यूपी की सियासत के महारथियों में से एक अखिलेश यादव की नजर मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी है. दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसी को लेकर सपा चीफ खुद मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार करने उतरे हैं. सपा को आशा है कि वह एमपी में कुछ विधानसभा सीटें जीतकर अपना सियासी कद यूपी के अलावा एमपी में भी ऊंचा कर सकती है. इसी बीच अखिलेश यादव ने आदिवासी परिवार के यहां खाना खाया है.

बता दें कि अखिलेश यादव ने  कुछ फोटो X (पूर्व ट्वीटर) पर पोस्ट किए हैं. इन फोटो में अखिलेश यादव आदिवासी परिवार के घर खाना खाते हुए नजर आ रहे हैं. इन फोटो को अखिलेश यादव ने कुछ खास पंक्तियों के साथ शेयर किया है.

पहले जानिए आखिर लिखा क्या है अखिलेश यादव ने

अखिलेश यादव ने X पर 2 फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, “बराबरी की एक ज़मीन और पत्तलों का थाल है जो माने सब हैं समान वही सच्चा समाजवाद है.” अब इस फोटो और पंक्तियों के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

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अखिलेश यादव ने दिया बड़ा संदेश

अखिलेश यादव ने अपने मध्य प्रदेश दौरे के दौरान आदिवासी परिवार के साथ खाना खाया है. आदिवासी परिवार के साथ जमीन पर बैठकर और पत्तलों पर अखिलेश यादव ने भोजन किया. इस दौरान अखिलेश ने खाने का भी खूब स्वाद लिया. अब सपा चीफ का ये वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

सियासी जानकारों की माने तो सपा चीफ ने इन फोटो के माध्यम से आदिवासी-दलित समाज को बड़ा संदेश दिया है. अखिलेश ने खाना तो मध्य प्रदेश में खाया है. मगर माना जा रहा है कि उनका निशाना उत्तर प्रदेश ही है. दरअसल इसके पीछे एक वजह भी है.

अखिलेश यादव PDA फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं. PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. सियासी जानकारों की माने तो यूपी में अल्पसंख्यक अखिलेश के साथ ज्यादातर लामबंद है. जहां तक बात पिछड़े समाज की कि जाए तो वहां भाजपा और समाजवादी पार्टी में 50-50 की टक्कर है. ऐसे में अखिलेश दलित और आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में करना चाहते हैं. इसके लिए सपा चीफ कई रणनीतियां अपना रहे हैं और उन्हें सियासी संदेश देने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं. अब देखना ये होगा कि अखिलेश यादव की ये रणनीतियां चुनावों के समय कितनी कामयाब हो पाती हैं.

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