सपा के संगठन के पदों पर हुए ऐलान में OBC-दलित नेताओं का बोलबाला, ब्राह्मण-ठाकुर लगभग साफ!

कुमार अभिषेक

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समाजवादी पार्टी (सपा) ने रविवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है जिसमें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रोफेसर राम गोपाल यादव को प्रमुख महासचिव बनाने के साथ ही मोहम्मद आजम खान, शिवपाल सिंह यादव और स्‍वामी प्रसाद मौर्य को महासचिव बनाया गया है.

सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची साझा की गई है.

सूची के अनुसार फिर अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष, किरणमय नंदा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव बनाया गया है. इसके अलावा मोहम्मद आजम खां, शिवपाल सिंह यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव सहित 14 राष्ट्रीय महासचिव होंगे.सुदीप रंजन सेन पार्टी के कोषाध्यक्ष होंगे, जबकि सदस्यों के अलावा 19 राष्ट्रीय सचिव होंगे.

इस सूची को देखने से स्पष्ट होता है कि समाजवादी पार्टी ने ओबीसी-दलित कार्ड खेला है. पार्टी के राष्ट्रीय संगठन के पदों पर हुए ऐलान में ओबीसी और दलित नेताओं का बोलबाला है.

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अखिलेश यादव ने अब साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी पिछड़ों दलितों और मुसलमानों के ही समीकरण पर राजनीति करेगी, जिसमें मुसलमान और यादवों के अलावा अब ओबीसी का बोलबाला होगा. साथ-साथ संगठन के नामों के ऐलान से यह भी साफ हो गया कि अब समाजवादी पार्टी की राजनीति में ब्राह्मण और ठाकुरों के लिए वह जगह नहीं बची है, जो पहले कभी हुआ करती थी.

समाजवादी पार्टी ने संगठन के पदों पर नामों का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष, प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय सचिवों का ऐलान हुआ है.

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पार्टी ने जिन 14 राष्ट्रीय महासचिवओं का ऐलान किया उसमें एक भी ब्राह्मण या एक भी ठाकुर चेहरा नहीं है . मुस्लिम चेहरों में भी सिवाय आजम खान के किसी अन्य चेहरे को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर जगह नहीं मिली है, जबकि इस बार अखिलेश यादव ने ओबीसी को भरपूर जगह दी है. रवि प्रकाश वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, विश्वंभर प्रसाद निषाद, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर हरेंद्र मलिक नीरज चौधरी ऐसे नाम हैं.

ओबीसी की सभी बड़ी जातियों को राष्ट्रीय संगठन में बड़े पद दिए गए हैं. मौर्य, राजभर निषाद और कुर्मी जाति के अलावा जाट नेताओं को भी राष्ट्रीय संगठन के पदों पर सपा ने जगह दी है, जबकि दलितों में पासी, जाटव जैसी दलित जातियों को जगह मिली है.

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समाजवादी पार्टी ने भी इस बार बाहर से आए नेताओं को भरपूर स्थान दिया है. वो चाहे बीजेपी से आए नेता हो चाहे बीएसपी से आए हुए नेता हो या फिर कांग्रेस पर इस बार संगठन में उन्हें भी भरपूर जगह दी गई है.

आज की संगठन में हुए बदलाव ने यह लगभग साफ कर दिया है कि अब समाजवादी पार्टी के भीतर ठाकुर और ब्राह्मणों को पहले जैसी प्रमुखता नहीं रही, जबकि समाजवादी पार्टी अपने एमवाई समीकरण के साथ ओबीसी और दलितों को लेकर नए समीकरण बना रही है, जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

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