मैनपुरी: इतिहास डिंपल के साथ लेकिन ये चुनावी गणित मुलायम की विरासत पर कहीं पड़े न भारी

हर्ष वर्धन

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Mainpuri By-Election: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी में लोकसभा के उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग हुई. उपचुनाव के नतीजे कल यानी 8 दिसंबर को जारी किए जाएंगे. आपको बता दें कि सपा ने उपचुनाव में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया जबकि बीजेपी ने ‘नेताजी’ के शिष्य रहे रघुराज सिंह शाक्य को टिकट दिया. गौरतलब है कि मैनपुरी सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए ये सीट प्रतिष्ठा की ऐसी लड़ाई बन गई है, जिस पर न सिर्फ उत्तर प्रदेश की, बल्कि पूरे देशभर की निगाहें टिकी हुईं हैं. खबर में आगे जानिए अब तक कैसा रहा है मैनपुरी सीट का इतिहास?

पिछले चुनावों में मैनपुरी सीट का इतिहास

साल 2004

साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव सपा के टिकट पर मैदान में थे. वहीं, उनके सामने बसपा के अशोक शाक्य थे. नतीजों में मुलायम को 460470 जबकि अशोक शाक्य को 122600 वोट मिले. मुलायम यह चुनाव 337870 वोटों के बड़े अंतर से जीते. इसके बाद मुलायम यूपी के सीएम बने तो उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी. उपचुनाव में उन्होंने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को सपा का टिकट दिया और धर्मेंद्र यादव यह चुनाव जीत गए.

साल 2009

UP Politics: आपको बता दें कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर सपा और बसपा के बीच सीधी लड़ाई हुई. सपा की ओर से मुलायम सिंह यादव जबकि बसपा की तरफ से विनय शाक्य मैदान में थे. इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव की जीत हुई थी. मुलायम को 392308 जबकि शाक्य को 219239 वोट मिले थे.

साल 2014

साल 2014. यह वो साल था जब उत्तर प्रदेश क्या समूचे देश में ‘मोदी लहर’ थी. मगर बावजूद इसके मैनपुरी सीट पर सपा का ही कब्जा रहा. इस चुनाव में सपा ने तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार बनाया, वहीं उनके सामने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य थे. चुनाव में तेज प्रताप को 653686 जबकि शाक्य को 332537 वोट मिले. और तेज प्रताप 321149 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीत गए.

साल 2019

Dimple Yadav News: साल 2019 में फिर एक बार फिर मैनपुरी सीट से मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े. इस बार उनकी टक्कर बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य से थी. मुलायम ने तब ऐलान किया था कि यह उनका आखिरी चुनाव है, बावजूद इसके उनका जीत का अंतर पिछले चुनावों के मुकाबले कम रहा. मुलायम सिंह यादव को 524926 जबकि प्रेम सिंह शाक्य ने 430537 वोट हासिल किए. यह चुनाव मुलायम महज 94389 वोटों से जीते.

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उपचुनाव में फंस सकती है ‘साइकिल’ की सीट?

Political News Hindi: सियासी गलियारों में चर्चा है कि डिंपल यादव के लिए 94 हजार के वोट का अंतर दिक्कतें बढ़ाने वाला है, क्योंकि इस बार के चुनाव में बसपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर है. चर्चा तेज है कि मैनपुरी के दलित वोटर अहम भूमिका निभाने वाले हैं. मिली जानकारी के अनुसार, मैनपुरी सीट पर बसपा एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है. मगर उसका औसत वोट प्रतिशत करीब 16 प्रतिशत रहा है. इस बार यही वोट अहम भूमिका में है. मैनपुरी में यादव और शाक्य वोटरों के बाद दलित वोटरों की संख्या भी काफी ज्यादा है. यहां करीब 2 लाख दलित वोटर हैं. अब यही देखना दिलचस्प होगा कि ये दलित वोटर ‘कमल’ के जाएंगे या ‘साइकिल’ की सवारी करना पसंद करेंगे.

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मैनपुरी में हुई कम वोटिंग

Mainpuri By Election 2022: मैनपुरी में लगभग 15 फीसदी वोटिंग कम होने से समाजवादी पार्टी में बेचैनी देखी जा रही है. बीजेपी मैनपुरी में जीत का दावा जरूर कर रही है लेकिन उसकी उम्मीद उस साइलेंट वोट (दलित वोट) पर टिकी है, जो समाजवादी पार्टी के खिलाफ कभी बसपा को तो कभी अपने स्वजातीय प्रत्याशियों को वोट करता रहा है.

सपा को ये उम्मीद-

वहीं सपा नेताओं का विधानसभावार आकलन है कि एक बार फिर उन्हें जसवंतनगर में बंपर लीड मिलेगी. उनका मानना है कि वह करहल में काफी मार्जिन से आगे रहेंगे, किशनी में थोड़े मतों से आगे होंगे, लेकिन भोगांव और मैनपुर सदर विधानसभा में थोड़े मतों से बीजेपी से पीछे रह सकते हैं. ऐसे में जसवंतनगर, करहल और किशनी की जीत उन्हें मैनपुरी चुनाव में निर्णायक लीड दे देगी.

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बीजेपी का यह है आकलन

By Polls News: वहीं, मैनपुरी में बीजेपी का आकलन दलित वोटों और साइलेंट वोटों पर टिका है. बीजेपी का आकलन है कि समाजवादी पार्टी को यादव वोट, मुस्लिम वोट और थोड़े थोड़े वोट सभी जातियों में मिलेंगे. जबकि बीजेपी को शाक्य, सैनी सहित सभी ओबीसी के वोटों का बड़ा बड़ा हिस्सा मिला है. बीजेपी के अनुसार, दलितों में जाटव वोट उन्हें चुपचाप बड़ी तादाद में मिले हैं, जो साइलेंट वोटर माने जाते हैं. बीजेपी का मानना है कि सवर्णों ने उन्हें बड़ी तादाद में वोट दिया है.

बता दें कि समाजवादी पार्टी के लोग मुलायम सिंह यादव से भी ज्यादा वोट से डिंपल यादव के जीत का दावा कर रहे हैं. मगर अंदरूनी तौर पर सपा के लोग यह मानते हैं कि इस बार लड़ाई कड़ी है और जीत का मार्जिन कम होने जा रहा है.

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