राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नामांकन में पहुंचे अखिलेश यादव, उठ रहे ये सवाल

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राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नामांकन में अखिलेश यादव दिल्ली पहुंचे हैं. वे सोमवार को यशवंत सिन्हा के नामांकन में सभी विपक्षी दलों के साथ मौजूद रहे. चूंकि आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव पर ये आरोप लग रहे हैं कि वे वहां प्रचार में क्यों नहीं गए? इधर राष्ट्रपति पद के नामांकन में दिल्ली जाने पर एक बार फिर उपचुनाव प्रचार में न जाने की बातें चर्चा में हैं. कहा जा रहा है कि लखनऊ में रहकर अखिलेश आजमगढ़ और रामपुर नहीं जा सके पर दिल्ली राष्ट्रपति पद के नामांकन में पहुंच गए.

गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा के नामांकन पर सभी विपक्षी दल मौजूद रहे. यशवंत सिन्हा ने एक ट्विट कर कहा कि- यह सभी विपक्षी दलों के नेताओं को राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मुझे अपने उम्मीदवार के रूप में चुनने के लिए धन्यवाद देने के लिए मेरे पत्र का मूल पाठ है. मैं वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहा हूं. संविधान की रक्षा करना हमारा वादा, प्रतिज्ञा और प्रतिबद्धता है. साथ ही यशवंत सिन्हा ने एक लेटर भी शेयर किया है.

ध्यान देने वाली बात है कि समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल सुहेलदेव भरतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव को एसी कमरे से बाहर निकलने की नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि इस हार से सीख लेनी चाहिए और एसी कमरे से निकलकर धरातल पर चलकर संगठन का काम लोगों को लेकर मिलकर कहना चाहिए.

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वहीं एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने सपा की हार के लिए अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया है. असदुद्दीन ओवैसी ने नतीजों के बादट्वीट कर कहा- ”रामपुर और आज़मगढ़ चुनाव के नतीजे से साफ़ ज़ाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो क़ाबिलियत है और ना क़ुव्वत। मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना क़ीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर ज़ाया करने के बजाये अपनी खुद की आज़ाद सियासी पहचान बनाए और अपने मुक़द्दर के फ़ैसले ख़ुद करे।”.

गौरतलब है कि अखिलेश यादव और आजम खान ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. दोनों ने जीतने के बाद अपनी अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इन सीटों पर चुनाव कराए गए. आजमगढ़ से बीजेपी के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोट से हराया. तो वहीं, रामपुर में बीजेपी के घनश्याम लोधी ने सपा के मोहम्मद आसिम रजा को करीब 42000 वोटों से मात दी. आजमगढ़ और रामपुर सपा की गढ़ रही हैं. ऐसे में इन सीटों पर बीजेपी के जीतने के बाद अखिलेश यादव की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

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