UP चुनाव 2022: जानिए हमीरपुर में कब होगा मतदान, क्या है जिले की मौजूदा सियासी तस्वीर?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान हो गया है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि यूपी में 7 चरणों में चुनाव आयोजित होंगे. पूरे प्रदेश में 10 फरवरी से 7 मार्च तक मतदान होगा. 10 मार्च को चुनाव रिजल्ट की घोषणा होगी.

चुनाव आयोग के मुताबिक, हमीरपुर में तीसरे चरण में 20 फरवरी को वोटिंग होगी.

आइए हमीरपुर जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं-

बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला हमीरपुर जिला सियासी मायनों से बीजेपी के लिए काफी खास है. पिछले विधानसभा चुनाव में हमीरपुर की जनता ने बीजेपी को एकतरफा जीत दी थी. बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. इतना ही नहीं बीजेपी के दोनों उम्मीदवार बड़े अंतर से चुनाव जीते थे. बीजेपी की मनीषा अनुरागी ने 1,04,643 वोटों के विशाल अंतर से राठ विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी.

कहते हैं ‘बुंदेलखंड की एक ही कहानी, न पेट को पानी न खेत को पानी.’ इस कहावत का सीधा सा मतलब है कि बुंदेलखंड में लोगों को पीने और किसानों को सिंचाई के लिए पानी आसानी से नहीं मिल पाता है. यह समस्या पिछले कई सालों से चली आ रही है. नेता लोग हर बार इस समस्या का समाधान करने की बात कह कर वोट ले लेते हैं. मौजूदा वक्त में भी स्थिति कोई ज्यादा नहीं बदली है. अब आगामी चुनाव में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि ये मुद्दा विपक्ष किस तरह से उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश करता है.

हमीरपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट धाम मंडल का एक हिस्सा है. हमीरपुर शहर इसका जिला का मुख्यालय है. हमीरपुर उत्तर में जालौन (उरई), कानपुर और फतेहपुर, पूर्व में बांदा, दक्षिण में महोबा और पश्चिम में झांसी और जालौन जिलों से घिरा हुआ है. 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की आबादी 1,042,374 है.

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2011 की जनगणना के ही मुताबिक, महोबा और चित्रकूट के बाद उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है हमीरपुर. यहां पर यमुना और बेतवा दो प्रमुख नदियां मिलती हैं. बेतवा नदी के किनारे पर ‘मोटा रेत’ पाया जाता है, जिसका निर्यात उत्तर प्रदेश के कई भागों में होता है.

हमीरपुर जिले में 2 विधानसभा क्षेत्र हैं:

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  1. हमीरपुर

  • राठ

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    • 2017 के चुनाव में बीजेपी ने हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वालीं दोनों विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी.

    • 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ें बताते हैं कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने 1-1 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था.

    हमीरपुर जिले की विधानसभा सीटों का विस्तार से विवरण-

    हमीरपुर

    2017: इस विधानसभा सीट पर बीजेपी के अशोक चंदेल ने जीत हासिल की थी. इन्होंने एसपी के मनोज कुमार प्रजापति को 48,655 वोटों से मात दी थी. आपको बता दें कि हमीरपुर में हुए सामूहिक हत्याकांड में हाईकोर्ट ने विधायक अशोक चंदेल को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद अशोक चंदेल की विधायकी खत्म हो गई गई थी.

    सीट खाली होने के बाद सितंबर 2019 में उप-चुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी ने युवराज सिंह को टिकट दिया तो एसपी ने अपने पुराने प्रत्याशी मनोज प्रजापति को मैदान में उतारा. उप-चुनाव में बीजेपी के युवराज सिंह ने बाजी मार ली और एसपी के मनोज प्रजापति को दोबारा हार का सामना करना पड़ा.

    2012: इस चुनाव में भी यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी की साध्वी निरंजन ज्योति ने बीएसपी के फतेह मुहम्मद खान को 7,824 वोटों से हराया था.

    राठ

    2017: इस चुनाव में बीजेपी की मनीषा अनुरागी ने कांग्रेस के गयादीन अनुरागी को हराया था. दोनों के बीच 1,04,643 वोटों का विशाल अंतर था.

    2012: इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गयादीन अनुरागी ने एसपी की अंबेश कुमारी को हराया था. दोनों के बीच 36,137 वोटों का अंतर था.

    हमीरपुर शहर में ही नहीं है रेलवे स्टेशन

    हमीरपुर जिले का मुख्यालय हमीरपुर शहर है. ताज्जुब की बात यह है कि जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन ही नहीं है. रेल सफर करने के लिए लोगों को 15 किलोमीटर दूर सुमेरपुर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है. इस समस्या के निस्तारण के लिए शहर वासी काफी लंबे समय से मांग कर रहे हैं.

    सड़कों पर छुट्टा पशुओं का घूमना है एक बड़ी समस्या

    हमीरपुर में अन्ना प्रथा के चलते किसान अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं. इसके कारण हजारों की संख्या में छुट्टा पशु सड़कों पर घूमते रहते हैं. सड़कों पर छुट्टा पशुओं के घूमने से सड़क हादसे होते हैं. वहीं, जब ये खेतों में जाते हैं तो किसान की फसल भी बर्बाद कर देते हैं.

    बालू के अवैध खनन पर नहीं लगती रोक

    हमीरपुर में बेतवा नदी से बालू का जमकर अवैध खनन होता है. स्थानीय लोगों द्वारा कई बार इसकी शिकायत करने के बावजूद इस ओर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, ट्रकों में बालू की ओवरलोडिंग होने की वजह से जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके कारण कानपुर-सागर मार्ग पर लंबा जाम लगता है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

    यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में विपक्ष सरकार को इन मुद्दों के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी घेरने की कोशिश कर सकता है. अब देखना यह अहम रहेगा कि आने वाले समय में हमीरपुर की जनता किस पार्टी को अपना आशीर्वाद देती है.

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