ज्ञानवापी केस: सर्वे के वीडियो-फोटो शेयर करने पर पाबंदी की मांग, वाराणसी जिला जज को लेटर

संजय शर्मा

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वाराणसी के जिला जज के पास हिंदू पक्षकारों की ओर से एक चिट्ठी भेजी गई है जिसमें कोर्ट कमिश्नर की ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट और वीडियो व फोटोग्राफ पब्लिक डोमेन में लाने और प्रकाशित करने पर पाबंदी लगाने की मांग को गई है.

विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेन्द्र सिंह विसेन ने जिला मजिस्ट्रेट से गुहार लगाई है कि ज्ञानवापी कमीशन की फोटोग्राफी या वीडियो प्रकाशित नहीं होनी चाहिए. इन सामग्री को किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा ना किया जाए. ये कोर्ट की संपत्ति रहे और कोर्ट तक सीमित रहे. अन्यथा राष्ट्रविरोधी ताकतें इसे लेकर माहौल बिगाड़ सकती हैं. सांप्रदिक सौहार्द को खतरा हो सकता है. राष्ट्र विरोधी ताकतों के सक्रिय होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है. किसी भी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा करने के प्रयास में लिप्त पाए जाने पर रासुका सहित अन्य प्रावधानों में सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

रिपोर्ट के पेज नंबर 7 पर सर्वे से जुड़ी बेहद अहम बातें लिखी हुई हैं. इसमें वजू के लिए इस्तेमाल किए जा रहे तालाब के बीचों-बीच मिलने वाली शिवलिंगनुमा आकृति का भी जिक्र है. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में किन बातों का जिक्र किया गया.

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हालांकि, सर्वे रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा किए जाने का दावा किया जा रहा है. सर्वे के दौरान वकील कोर्ट कमिश्नर ने नगर निगम के कर्मचारी को वजूखाने यानी हौज में सीढ़ी लटका कर बीच में भेजा. हौज का पानी निकलवा कर मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए मत्स्य पालन अधिकारी को मौके पर बुलाकर सलाह ली गई.

मत्स्य पालन अधिकारी ने कहा कि 2 फुट तक पानी रहने से भी मछलियां जीवित रहेंगी. फिर इसी सलाह के मुताबिक पानी सिर्फ दो फुट ही किया गया. पानी कम करने पर काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति दिखाई दी. इसकी ऊंचाई करीब 2.5 फुट होगी. इसके टॉप पर कटिंग किया गया है, गोलाकार सफेद पत्थर दिखाई पड़ा है.

पत्थर के बीचों-बीच आधे इंच से थोड़ा कम का गोल छेद था. इसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया. तालाब से निकले गोलाकर पत्थर की आकृति नापी गई तो बेस का व्यास करीब 4 फीट पाया गया. वादी पक्ष इस काले पत्थर को शिवलिंग कहने लगे. प्रतिवादी वकील ने कहा कि यह फव्वारा है. सर्वे टीम ने इसकी पूरी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की है. ये सब रिपोर्ट के साथ ही सील बंद है.

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सर्वे टीम ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के मुंशी एजाज मोहम्मद से पूछा कि यह फव्वारा कब से बंद है. उन्होंने कहा कि फव्वारा लंबे समय से बंद है. उन्होंने पहले कहा कि 20 साल से बंद है फिर कहा कि 12 साल से बंद है.

सर्वे टीम ने जब फव्वारा चालू करके दिखाने के लिए कहा तो मुंशी ने असमर्थता जताई. आकृति की गहराई के बीचों-बीच सिर्फ आधे इंच से कम का एक छेद मिला. जो 63 सेंटीमीटर गहरा था।. फव्वारे के हिसाब से पाइप घुसाने का स्थान नहीं मिला. वजू का तालाब या सरोवर 33 फुट लंबा चौड़ा वर्गाकार है. इसके अंदर ही पत्थरनुमा गोलाकार आकृति पाई गई.

काले पत्थर की आकृति की सतह पर अलग तरह का घोल चढ़ा हुआ प्रतीत हो रहा था. जो कहीं-कहीं से थोड़ा चटका हुआ था. पानी में डूबा रहने के कारण इस पर काई भी जमी थी. हालांकि सर्वे रिपोर्ट में देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां, कलाकृतियां, नाग, कमल आदि कई कलाकृति मिलने का दावा भी किया गया.

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