ज्ञानवापी केस: सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ट्रांसफर किया मामला, वजू के लिए की ये व्यवस्था

संजय शर्मा

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ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ में हुई सुनवाई के बाद अदालत ने केस जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि डीजे की प्राथमिकता के आधार पर रखरखाव का मुद्दा तय किया जाएगा.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 मई का हमारा (सुप्रीम कोर्ट का) आदेश 8 सप्ताह तक जारी रहेगा. साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वजू की पर्याप्त व्यवस्था जिलाधिकारी करें. डीएम सुनिश्चित करें कि धार्मिक आयोजनों की समुचित व्यवस्था की जाए. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले को यूपी ज्यूडिशियल सर्विसेज के सीनियर मोस्ट अधिकारी के समक्ष सुना जाये. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा.

सुनवाई के दौरान तीन जजों की पीठ ने पहले सभी पक्षकारों के वकीलों के बारे में जाना. उसके बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों को जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं. उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा. हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उसपर विचार करने को कहा जाय. इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनको निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है. उनको अपने हिसाब से करने दिया जाय.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुने हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रह सकता है, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज को ना रोकने को कहा था. ये सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुने हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रह सकता है, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज को ना रोकने को कहा था. ये सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा.

मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं. ‘स्टेटस को’ यानी यथा स्थिति बनाए रखी जा सकती है. पांच सौ साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए.

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इसपर अदालत ने कहा कि हमने जो महसूस किया वह सबसे पहले हम आदेश 7 नियम 11 पर निर्णय लेने के लिए कहेंगे और जब तक यह तय नहीं हो जाता है कि हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा. कोर्ट ने कहा कि यह तय करने के लिए कि आयोग जांच कमीशन की नियुक्ति का आदेश सही था या नहीं उस बारे में एक पैनल नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन जिस क्षण हम अंतरिम आदेश जारी रखते हैं, इसका मतलब है कि हमारा आदेश जारी है.

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