शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को जब पुलिस ने घेरा! ज्ञानवापी में करने जा रहे थे ये काम

रोशन जायसवाल

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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
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ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में हैं. पहले उन्होंने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शास्त्र सम्मत तरीकों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया. तब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम मंदिर में धर्म सम्मत काम नहीं हो रहा. अब वो वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले को लेकर चर्चा में हैं. बात इतनी बढ़ी है कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. सोमवार को वाराणसी के सोनारपुरा इलाके के उनके आश्रम में पुलिस ने अविमुक्तेश्वरानंद को उस वक्त नजरबंद कर दिया आश्रम को चारों तरफ से घेर लिया जब उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की चारों तरफ से परिक्रमा करने के लिए जाने की कोशिश की. 

शंकराचार्य ने बताया कि उन्होंने करीब डेढ़ साल से ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग (मुस्लिम पक्ष का दावा कि ये फव्वारा है) की राजभोग पूजा के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई हुई है. इतना लंबा वक्त बीत जाने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल रही है. इसलिए उन्होंने वजूखाने में मिले शिवलिंग की बाहर से ही परिक्रमा करनी चाही. पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया और धारा 144 का हवाला भी दिया. अब अगर लिखित परमिशन नहीं मिलता है तो वह अपनी लड़ाई आगे जारी रखेंगे.

यूपी Tak से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि, 'ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग को पूजा से वंचित नहीं किया जा सकता है. जब तक कोर्ट में मामला है तब तक शिवलिंग के पूजन का अधिकार मिलना चाहिए. पिछले डेढ़ साल से कोर्ट में मामला है और सिर्फ तारीख ही मिल रही है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. एक दिन में इसका फैसला आ जाना चाहिए था.' उन्होंने बताया कि निचली अदालत इस मामले को खारिज भी नहीं कर रही है ताकि ऊपर की अदालत में जाया जा सके. ऐसे में यह सोचा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग के बाहर से ही परिक्रमा करके शिवलिंग को प्रणाम कर लिया जाएगा, लेकिन इसके लिए भी पुलिस ने उन्हें जाने से पहले ही रोक दिया है. 

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उन्होंने बताया कि बीती रात 2 बजे से ही उनके पूरे मठ को पुलिस घेर रखी है और 12 घंटे बाद भी उन्हें बाहर जाने से रोक दिया गया. अयोध्या में राम मंदिर में का प्रतिष्ठा के मुद्दे पर आपत्ति दर्ज करने के सवाल पर उन्होंने फिर दोहराया कि वे शास्त्र सम्मत तरीके से चल रहे हैं. भले ही अस्थाई लेकिन अयोध्या में मंदिर में शिखर बनाया गया और इसी तरह रामलला विराजमान को भी गर्भगृह में स्थान दिया गया. उन्होंने बताया कि धर्म की दृष्टिकोण से वह बोलते हैं, राजनीति उनका काम नहीं है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'जब गंगा का आंदोलन करते हैं तो हम भाजपाई घोषित हो जाते हैं. जब राम मंदिर के बारे में प्रश्न खड़े करते हैं तब हम कांग्रेसी हो जाते हैं.'

उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी की परिक्रमा करने से पुलिस ने उन्हें धारा 144 का हवाला देकर रोका है. धारा 144 चार लोगों से ज्यादा होने पर लगती है, लेकिन नमाजियों पर क्यों नहीं लग रही है? दर्शनार्थियों पर भी क्यों नहीं लग रही है जो वहां घूमते रहते हैं? केवल हमारे लिए ही क्यों धारा 144 लगाई गई है? शंकराचार्य ने बताया कि पुलिस में कहा है कि लिखित परमिशन लेकर जाइए. अब लिखित परमिशन के लिए आवेदन किया जा रहा है. 

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उन्होंने दावा किया कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के चारों ओर परंपरागत तरीके से परिक्रमा करते आए हैं और आगे भी करेंगे. उन्होंने बताया कि अगर उन्हें ज्ञानवापी के परिक्रमा की अनुमति मिल जाती है तो ठीक नहीं तो वाजिब कारण नहीं मिलने पर आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी.

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