वाराणसी: काशी विद्यापीठ में अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय वेब-सेमिनार का हुआ आयोजन

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वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्थित राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा 29 जून, बुधवार को भारत की स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब-सेमिनार का आयोजन किया गया. यह सेमिनार ‘राष्ट्रीय आंदोलन के गुमनाम नायक’ विषय पर था.

वेबिनार की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो.आनन्द कुमार त्यागी ने किया. कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप मे नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (NEHU), शिलांग, मेघालय मे इतिहास विभाग के प्रो. अमरेंद्र ठाकुर रहे. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सौरभ बाजपेई थे.

वेबिनार की मुख्य वक्ता के रूप मे पूर्व मे दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ी क्षेत्रीय और ग्रामीण इतिहास लेखन की अध्यता डॉ. रश्मि चौधरी रहीं.

राजनीति विज्ञान विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. सूर्यभान प्रसाद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. तदुपरान्त राष्ट्रीय वेबिनार के संयोजक डॉ. जयदेव पांडेय ने वेबिनार के विषय के ऊपर विषय प्रस्तावना प्रस्तुत किया. कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. रश्मि चौधरी ने अपना विचार रखते हुए 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक रहे बाबू कुंवर सिंह के साथ ब्रिटिश सरकार से लड़ने वाले गुमनाम सिपाहियों के विषय मे विस्तार से बताया.

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उन्होंने विशेष रूप से दो गुमनाम सेनानी महिलाओं धर्मन देवी और गौस बीबी के साथ ही हरिकिशन सिंह और इब्राहिम खान का सन्दर्भ देते हुए राष्ट्रीय आंदोलन मे उनके योगदान की चर्चा की.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप मे डॉ. सौरभ बाजपेई ने राष्ट्रीय आंदोलन मे छात्रों के योगदान को रेखांकित किया. उन्होंने इतिहास के निम्न-वर्गीय प्रसंग की आलोचना करते हुए आंदोलन मे विश्वविद्यालय और कॉलेज के विद्यार्थियों की सक्रिय भूमिका की ओर ध्यान आकृष्ट कराया.

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राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि प्रो. अमरेंद्र ठाकुर ने विशेषकर भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के उन स्वतंत्रता सेनानियों से सभी का परिचय कराया, जिन्हें आज तक भारतीय जनमानस जानता तक नहीं है.

उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व में गांधी और सुभाष के आंदोलनों के विषय में तो लेखन कार्य हुआ है लेकिन उत्तर-पूर्व के कूकी जनजाति, आदि जनजाति, नागालैण्ड के वांकचो जनजाति के ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध संघर्ष को रेखांकित नहीं किया गया. उन्होंने विशेषकर मेघालय के जयंतिया जनजाति के तेलंग संगमा और सोना राम संगमा के ब्रिटिश सरकार की वन नीति के विरूद्ध हुए संघर्ष को प्रमुखता से बताया.

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प्रो. ठाकुर ने मणिपुर में अंग्रेजों द्वारा चावल के निर्यात के विरूद्ध महिलाओं के संघर्ष पर भी प्रकाश डाला. साथ ही यह बताया कि जीवन यापन के लिए ब्रिटिश सत्ता के विरूद्ध हुए इतने बड़े आंदोलन को इतिहास में नहीं दर्शाया गया.

राजनीति विज्ञान विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. सूर्यभान प्रसाद ने कहा, “आजादी के असंख्य आंदोलनों में ऐसे कितने ही सेनानी और वीर बलिदानी हैं जिनकी एक-एक गाथा अपने आप में इतिहास का एक-एक स्वर्णिम अध्याय है. हमें इन महानायकों और उनके जीवन इतिहास को देश के सामने ले आना है. इन लोगों की जीवन गाथा, संघर्ष और बलिदान की कहानी, सफलता और क्रांतिकारी जीवन हमारी आज की पीढ़ी का ज्ञान बढ़ाएगी और उनके लिए प्रेरणास्रोत होगी.”

सेमिनार संयोजक डॉ. जयदेव पांडेय ने कहा कि भारत की संरचना के 75वें वर्ष के उपलब्ध में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में सरकार ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के भूले-बिसरे नायकों को याद करने और उनकी इतिहास में यथोचित स्थान दिलाने का निर्णय लिया है.

उन्होंने कहा,

“भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में कई अनेक महापुरुष थे जिन्होंने आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन नई पीढ़ी उन्हें जानती तक नहीं. भारत का स्वतंत्रता संग्राम पूरे विश्व के लिए प्रेरणा और अनुकरण की मिसाल रहा है. इस संग्राम में ऐसे लाखों सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया जिसका हम नाम तक नहीं जानते हैं. भारत के राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास के ऊपर अभिजात्य इतिहास लेखन का प्रभाव ज्यादा दृष्टिगत हुआ.”

डॉ. जयदेव पांडेय

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास लेखन की प्रक्रिया में जो लोग पीछे छूट गए सरकार वैसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में आम जनमानस को बताना चाहती है.

कार्यक्रम मे पूरे देश से 479 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश की बड़ी भागीदारी रही. साथ ही 25 से ज्यादा विषय के लोग शामिल हुए.

कार्यक्रम का संचालन डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव निधि सिंह ने दिया. कार्यक्रम के आयोजन समिति के रूप मे प्रो. मोहम्मद आरिफ, डॉ. रेशम लाल, डॉ. रवि प्रकाश सिंह, डॉ. विजय कुमार, डॉ. मिथलेश कुमार, डॉ. ज्योति, डॉ. सुमन, डॉ. निशा की उपस्थिति के साथ ही डॉ. नीलेश झा, डॉ. अमर बहादुर शुक्ला, डॉ. रजनीकांत पाण्डेय, डॉ. जयंती, डॉ. सचिन, डॉ.संजय, डॉ. राम प्रकाश, अविनाश मिश्रा, आदि सैकड़ो प्रतिभागियों की आभासी मंच पर उपस्थिति रही.

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