चंदौली को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर सपा की पदयात्रा, सैकड़ों किसान हुए शामिल

उदय गुप्ता

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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के कई जिलों में बारिश नहीं हो रही है और बारिश नहीं होने की वजह से धान की फसल चौपट हो रही है. साथ ही सूखे के आसार साफ-साफ दिख रहे हैं और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं.

बारिश नहीं होने की वजह से धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली में भी किसान बेहाल हैं. यहां के अन्नदाताओं की फसल पानी के अभाव में सूख रही है और यहां के किसान सरकार से क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं.

अन्नदाताओं की इस परेशानी को लेकर अब राजनीति भी गरमाने लगी है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने सरकार से चंदौली को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है. इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग के साथ साथ किसानों के निजी नलकूपों की बिजली के बिल की माफी और उचित मुआवजे की मांग को लेकर समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में चंदौली के किसानों ने तकरीबन 12 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली.

इस पदयात्रा में समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ इलाके के दर्जनों की संख्या में किसान भी शामिल हुए. इस दौरान किसानों ने बताया कि बारिश नहीं होने की वजह से उनकी फसल सूख रही है.

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आलम यह है कि धान की फसल के साथ-साथ पशुओं का चारा भी सूख चुका है और आने वाले दिनों में धान की फसल पैदा नहीं होने पर उनके जीवन पर तो असर पड़ेगा ही. साथ ही साथ पशुओं को खिलाने के लिए चारा भी नहीं मिल पाएगा.

स्थानीय किसान राम इकबाल सिंह ने बताया कि हमने 5 एकड़ की धान की खेती की है. बारिश नहीं होने की वजह से आज की ही हालत खराब है, तो भविष्य की क्या बात की जाए. हमारे यहां पशुओं का चारा भी सूख गया है तो धान की बात ही छोड़ दीजिए.

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उन्होंने आगे बताया कि हम लोगों का जीवन अंधकार में दिखाई दे रहा है. कर्ज लेकर खेती किया था कैसे जमा करेंगे? हम सरकार से चाहते हैं कि सरकार हमारे इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करें.

वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि जो किसान धान रोप लिए हैं उनकी भी फसल सूख रही है. नलकूप चलाने के लिए बिजली का वोल्टेज भी काफी लो आ रहा है. सभी किसान परेशान हैं. हम लोगों की मांग है कि चंदौली को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए.

उन्होंने आगे कहा, “यह काम एक महीना पहले ही हो जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है. हम लोगों की मांग है कि निजी ट्यूबवेल के बिजली के बिल को माफ किया जाए और ₹15000 प्रति हेक्टेयर किसानों को मुआवजा दिया जाए. पदयात्रा कर हम लोगों ने यह बताने का काम किया है कि किसानों की बात को गंभीरता से लिया जाए.”

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