खोपड़ियों की माला, घोड़े पर सवार संन्यासी... महाकुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के छावनी प्रवेश का अद्भुत नजारा
महाकुंभ क्षेत्र में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के छावनी प्रवेश का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने राजसी वैभव और परंपराओं के साथ अपनी छावनी में प्रवेश किया.
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महाकुंभ क्षेत्र में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के छावनी प्रवेश का सिलसिला जारी है. इसी क्रम में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने राजसी वैभव और परंपराओं के साथ अपनी छावनी में प्रवेश किया. यह आयोजन आध्यात्मिकता और सनातन परंपरा का अद्भुत संगम है.

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श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के जुलूस में नागा साधु ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर शामिल हुए. उनके द्वारा धारण की गई खोपड़ियों की मालाओं और आभूषणों ने इस छावनी यात्रा को भव्यता प्रदान की. इस दृश्य ने श्रद्धालुओं को दिव्यता का अनुभव कराया.

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अखाड़े के जुलूस की शुरुआत भगवान कपिल जी के सुसज्जित रथ से हुई. इसे श्रद्धालुओं ने नमन कर आशीर्वाद लिया. भगवान कपिल जी के रथ ने यात्रा की पवित्रता और अखाड़े की आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाया.

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महानिर्वाणी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी की अगुवाई में यह यात्रा प्रारंभ हुई. उनका रथ भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा. आचार्य महामंडलेश्वर की उपस्थिति ने इस आयोजन को एक नई ऊंचाई दी.

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शहर में जगह-जगह संतों और साधुओं पर पुष्प वर्षा की गई. नगर पालिका और प्रशासन ने भी अखाड़े के संतों का भव्य स्वागत किया. यह आयोजन केवल परंपराओं का पालन नहीं बल्कि समाज के प्रति संतों के सम्मान को भी दर्शाता है.

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महानिर्वाणी अखाड़ा नारी शक्ति को विशेष स्थान देता है. इस यात्रा में चार महिला महामंडलेश्वर भी शामिल हुईं. साध्वी गीता भारती जैसी प्रेरणादायक हस्तियां इस परंपरा की पहचान रही हैं, जिन्होंने अखाड़े में नारी शक्ति का महत्व स्थापित किया.

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संतोष पुरी, जिन्हें राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 'गीता भारती' का नाम दिया, महाकुंभ की ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा हैं. तीन साल की उम्र में अखाड़े से जुड़ीं और दस साल की उम्र में गीता प्रवचन देना शुरू किया. उनकी यह यात्रा मातृशक्ति के योगदान का प्रतीक है.

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महानिर्वाणी अखाड़ा अपनी यात्रा में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी लेकर आया. छावनी प्रवेश यात्रा के दौरान पर्यावरण बचाने के प्रतीक चिह्नों का प्रदर्शन किया गया, जिससे इस आयोजन को सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ा गया.

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पांच किमी लंबी इस यात्रा में संत, साधु और श्रद्धालु उत्साह के साथ शामिल हुए. अखाड़े के इष्ट भगवान कपिल जी का रथ, आचार्य महामंडलेश्वर और नागा साधुओं की भव्य उपस्थिति ने इसे ऐतिहासिक बना दिया.

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शाम को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अपनी छावनी में प्रवेश किया. इस ऐतिहासिक क्षण ने महाकुंभ के उत्सव को नई शुरुआत दी। यह आयोजन सनातन धर्म की परंपराओं और आध्यात्मिकता की दिव्यता को दर्शाने वाला था.