सिद्धार्थनगर: गांव की महिलाओं ने लिखी सफलता की नई इबारत, बनाई ‘ऑल वूमन फैक्टरी’, जानिए

शिल्पी सेन

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Siddharthnagar News: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हो रहे प्रयासों में एक और कड़ी जुड़ गई है. सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज में महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम बढ़ाया है. पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित फैक्टरी में महिलाएं अब वॉशिंग पाउडर बना रही हैं. ट्रेनिंग से इस काम को सीखने के बाद 35 महिलाओं ने इसकी पहल की है.

UP Viral News: आपको बता दें कि शीलू चौधरी सुबह घर का काम निपटा कर और अपने दो बच्चों को स्कूल भेज कर घर से निकलती हैं. वो पहुंचती हैं उस फैक्टरी में जहां उनके जैसी 34 महिलाएं भी उसी समय एकत्र होती हैं. फैक्टरी में ये महिलाएं कई सामग्री को मिला कर वॉशिंग पाउडर बनाती हैं. फैक्टरी में इसके लिए मिक्सर और अन्य मशीनें भी लगाई गई हैं.

शीलू बताती हैं कि ये आत्मविश्वास उन्हें तब आया जब उन्होंने वॉशिंग पाउडर बनाने का प्रशिक्षण लिया. किस मात्रा में कौन सी चीज मिलानी है, इसकी जानकारी हासिल करना इनमें से कुछ कम पढ़ी लिखी महिलाओं के लिए इतना आसान नहीं था. पर अपने मजबूत इरादों के सहारे महिलाओं ने ये काम सीखा. यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज ब्लॉक के महुआरा गांव में एक बदलाव की बानगी है.

सिद्धार्थनगर के महुआरा गांव में ‘समूह’ का काम करने वाली महिलाओं ने साथ मिल कर वॉशिंग पाउडर बनाने की शुरुआत की है. प्रकाश प्रेरणा महिला ग्राम संगठन एक ऐसा सेल्फ हेल्प ग्रूप (self help group) है, जिसमें महिलाएं मिल कर कपड़े धोने का डिटर्जेंट तैयार करती हैं. इसके लिए उन्हें जरूरी तकनीकी ट्रेनिंग भारतीय स्टेट बैंक ने मुहैया कराई है. इसके बाद इन महिलाओं का काम आसान हो गया है. समूह में 35 महिलाओं में सबको ट्रेनिंग दी गई है.

यूपी न्यूज़: समूह में सभी महिलाएं युवा हैं. घर परिवार को देखने के अलावा उनके लिए आत्मनिर्भरता का कोई साधन नहीं था. फिर स्थानीय बीडीओ ने स्टेट बैंक की स्थानीय शाखा में सम्पर्क किया, जिससे इन महिलाओं को कोई प्रशिक्षण दिया जा सके. उसके बाद 35 महिलाओं की ट्रेनिंग हुई. अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ही प्रशिक्षण दिया गया. खास बात ये है कि महिलाओं की घरेलू स्थिति को देखते हुए उनको भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (SBI RSETI) द्वारा गांव में ही ट्रेनिंग कराई गई. उनको इसके अलावा डिटर्जेंट बनाने के लिए कच्चा माल और मशीनों की भी जरूरत थी. लेकिन सरकारी मदद और बैंक से ट्रेनिंग के बाद महिलाओं का हौंसला बढ़ा और महिलाओं में समूह से लोन ले कर ये उद्यम शुरू किया. ये उद्यम पूरी तरह से महिलाएं ही चलाती हैं.

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महिलाओं के हौंसले और काम के जुनून की वजह से 28 नवंबर से ‘प्रकाश डिटर्जेंट’ का उत्पादन शुरू हो गया. उस क्षेत्र में ये अपनी तरह का पहला प्रयोग है, क्योंकि सभी महिलाएं गांव की घरेलू महिलाएं हैं. संगठन को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से भी सहयोग मिला है. इसके औपचारिक उद्घाटन के मौके पर जहां महिलाओं में उत्साह दिखा, वहीं बीडीओ और स्टेट बैंक आरसेटी के मृत्युंजय कुमार मिश्रा ने भी महिलाओं का हौंसला बढ़ाया.

UP News Hindi: इस ग्रूप का नेतृत्व करने वालीं शीलू चौधरी कहती हैं कि ‘गांव में ट्रेनिंग होने से महिलाओं का काम बहुत आसान हो गया, क्योंकि सबको अपना घर देखना होता है और कई महिलाओं के बच्चे बहुत छोटे हैं. ऐसे में गांव से बाहर जा कर ट्रेनिंग नहीं हो पाती.’

अब समूह की सभी महिलाएं वॉशिंग पाउडर बनाने के साथ ही अलग-अलग काम सम्भालती हैं. खास बात ये है कि फैक्टरी का समय सुबह 10 बजे से शाम के 3 बजे तक रखा गया है, जिससे घर का काम करके महिलाएं आ सकें और वापस भी समय से जा कर अपना घर देख सकें.

इसके उत्पादन को लेकर महिलाओं में उत्साह है, तो वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम धर्मेंद्र किशोर का मानना है कि इससे महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिला है, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ गया है. ये सफल उद्यम दूसरी महिलाओं को भी प्रेरणा देगा.’

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