फतेहपुर जेल के बंदी को ‘स्पेशल मेंशन’ कैटगरी में मिला तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड-2022

यूपी तक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर तिनका तिनका फाउंडेशन ने राष्ट्रीय तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स के 8वें संस्करण की घोषणा करके जेल सुधार में अपने प्रयासों को जारी रखा. इन विशेष पुरस्कारों का उद्देश्य भारत में जेल सुधार की दिशा में जेल के बंदियों, कर्मचारियों और प्रशासन के असाधारण योगदान को मान्यता देना है.

आपको बता दें कि तिनका तिनका ने वर्ष 2022 के लिए 13 बंदियों और 3 जेल प्रशासकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया है. ये पुरस्कार 4 श्रेणियों (पेंटिंग, विशेष उल्लेख, जेल प्रशासन और बंदिनी अवॉर्ड) के तहत दिया जाता है. इस वर्ष के पुरस्कारों का विषय ‘जेल में समाचार पत्र’ था.

इस बार पेंटिंग श्रेणी में 7 बंदियों, जबकि 4 बंदियों को जेल जीवन में विशेष योगदान के लिए चुना गया है. विशेष उल्लेख श्रेणी के तहत एक ट्रांसजेंडर को चुना गया है. वहीं, 2 महिला बंदियों को विशेष तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कार से नवाजा गया है. इसके अलावा 3 जेल कर्मचारियों को इस साल जेल प्रशासन के लिए विशेष तिनका तिनका पुरस्कार के लिए चुना गया है. इन 13 बंदियों में से 6 सजायाफ्ता और 7 अंडरट्रायल हैं.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

फतेहपुर जेल के बंदी को मिला तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की जिला जेल फतेहपुर के 30 वर्षीय राघवेंद्र लोधी नामक बंदी को दैनिक आधार पर बंदियों के लिए समाचार पत्र पढ़कर जेल में साक्षरता लाने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया है. सनद रहे, जेल में प्रवेश के समय वह एक अनपढ़ व्यक्ति थे.

गौरतलब है कि इस साल तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स गुजरात जेल के डीजी डॉ. केएलएन राओ और तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा ने जारी किए थे. वहीं, बीपीआरएंडडी के पूर्व डीजी डॉ. एपी माहेश्वरी और मध्य प्रदेश कारागार एवं सुधार सेवाओं के पूर्व डीजी संजय चौधरी अवॉर्ड्स के लिए जूरी के सदस्य थे.

ADVERTISEMENT

एक आंकड़े के अनुसार, 2021 तक 126 कैदियों को पेंटिंग और स्पेशल मेंशन श्रेणी में पुरस्कार मिला है जबकि 27 कैदियों को तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कारों के लिए चुना गया है. इस पहल के तहत 43 जेल प्रबंधकों को सम्मानित भी किया गया है.

ADVERTISEMENT

तिनका तिनका के बारे में

तिनका तिनका फाउंडेशन बंदियों के सुधार में मदद करने और जेल जीवन को बेहतर बनाने के लिए मीडिया शिक्षक और जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नन्दा की एक परियोजना है. मीडिया और साहित्य में डॉ. नन्दा के योगदान के लिए 2014 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें देश में महिला सशक्तिकरण के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘स्त्री शक्ति पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था. जेल सुधारों के क्षेत्र में बंदियों की रचनात्मक अभिव्यक्ति से संबंधित नवीन अवधारणाओं को पेश करने के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (2015 और 2017) में दो बार शामिल किया गया है. ‘1382 जेलों में अमानवीय स्थिति’ के मामले में 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जेलों पर उनके कार्रवाई उन्मुख शोध को भी संज्ञान में लिया गया था.

2015 में शुरू की गई तिनका तिनका की विशेष राष्ट्रीय श्रृंखला ‘तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स’ ने भारत में जेल सुधार के लिए कैदियों, कैदियों के बच्चों और जेल प्रशासकों के अद्वितीय योगदान को मान्यता दी है.

हर साल चार अलग-अलग श्रेणियों में पूरे भारत से सैकड़ों प्रविष्टियां प्राप्त करते हुए, इन पुरस्कारों ने सलाखों के पीछे असाधारण रचनात्मक और उद्यमी पहल को उजागर किया है, जिसने देश में कैदियों और जेल समुदाय के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद की है. पुरस्कार हर साल एक चुनिंदा प्रासंगिक विषय का अनुसरण करते हैं. 2021 में पुरस्कारों के लिए थीम ‘जेल में टेलीफोन’, 2020 में ‘कोविड-19 और जेल’ और 2019 में ‘जेल के अंदर सपने’ थे, जो भारत में कैद के दौरान देखी गई वास्तविकताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को सटीक रूप से पेश करते हैं.

बता दें कि डॉ. वर्तिका नन्दा को जिला जेल आगरा, हरियाणा और उत्तराखंड की जेलों में जेल रेडियो की अवधारणा, प्रशिक्षण और क्रियान्वयन का श्रेय भी दिया जाता है. तिनका जेल रेडियो भारत में जेल सुधारों के लिए समर्पित एकमात्र पॉडकास्ट है. तिनका तिनका के तहत तीन पुस्तकें जेल जीवन पर उत्कृष्ट कृतियां मानी जाती हैं.

फतेहपुर: पटरी से उतरी मालगाड़ी, 25 डिब्बे एक दूसरे पर चढ़े, देखिए हादसे की तस्वीरें

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT