मथुरा श्रीकृष्ण विराजमान केस: कोर्ट ने वाद स्वीकार कर अधीनस्थ अदालत में चलाने का दिया आदेश

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मथुरा श्रीकृष्ण विराजमान वाद में अदालत का फैसला आ गया है. अदालत ने वाद को स्वीकार करते हुए इसे जनपद के अधीनस्थ न्यायालय में चलाने का आदेश जारी कर दिया है.

जनपद न्यायाधीश राजीव भारती के न्यायालय ने वादी रंजना अग्निहोत्री, हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन के वाद में दाखिल किए गए रिवीजन को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश को निरस्त करते हुए अपने निर्णय में कहा है कि अब श्रीकृष्ण विराजमान वाद स्वीकार किया जाता है. अब यह वाद मथुरा जनपद के अधीनस्थ न्यायालय में चलेगा.

वादी पक्ष के वकील गोपाल खंडेलवाल का कहना है कि इस में बहस पूरी हो जाने के बाद 5 मई को जिला अदालत ने आज यानी 19 मई की तारीख फैसले के लिए नीयत की थी. मामले में अभी तक करीब 10 बार हियरिंग हो चुकी है. गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि अब रंजना अग्निहोत्री, हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन की तरफ से मामले में वे ही एपीयर हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे.

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ये है विवाद

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं विष्णु शकर जैन द्वारा रंजना अग्निहोत्री एवं सात अन्य की ओर से दायर वाद में कहा गया है कि कटरा केशवदेव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि के एक भाग में बनी शाही मस्जिद ईदगाह है. इसे लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान तथा शाही मस्जिद ईदगाह के बीच 1967 में हुए समझौते को इस आधार पर रद्द करने की मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का किसी रूप से अधिकार न था. वाद में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के नाम से एक सोसाइटी एक मई 1958 में बनाई गई थी. 1977 में उसका नाम श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान कर दिया गया था.

इसके बाद 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ एवं शाही मस्जिद ईदगाह के प्रतिनिधियों में एक समझौता किया गया था जो भगवान केशवदेव एवं उनके भक्तों के हितों एवं भावना के विपरीत था. 17 अक्टूबर 1968 को यह समझौता पेश किया गया था. 22 नवम्बर 1968 को सब रजिस्ट्रार मथुरा के यहां इसे रजिस्टर किया गया था.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- संपत्ति ट्रस्ट की है : समझौते के आधार पर सिविल सूट 43 वर्ष 1967 को सिविल जज मथुरा की अदालत से कानूनी जामा मिल गया था. अदालत में दायर वाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वाद में 1997 में कहा था कि कटरा केशव देव की सम्पूर्ण सम्पत्ति ट्रस्ट की है और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को उसका मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता. इसलिए उसके द्वारा किया गया उक्त समझौता जहां अवैध है वहीं कटरा केशव देव की सम्पत्ति पर शाही मस्जिद ईदगाह का किसी प्रकार अधिकार नहीं हो सकता. इसलिए उसपर किया गया निर्माण भी अवैध है.

इसी आधार पर शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने की बात कही गई है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में कटरा केशव देव बनाम शाही ईदगाह केस के वादी महेन्द्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बनारस की तरह मथुरा में भी कमल, पुष्प, आदि को नष्ट न किये जाने के लिये सुरक्षा अधिकारी नियुक्त कर परिसर को सील किये जाने की प्रार्थना की है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 जुलाई को नीयत की गई है.

मामले में अब तक 10 वाद हो चुके हैं दायर

मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि मालिकाना के मामले में अब तक 10 वाद दायर किए जा चुके हैं. मथुरा की अदालत में 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण विराजमान वाद दायर किया गया था. इस वाद में अब तक 20 महीने में 19 बार सुनवाई हो सकी है, लेकिन अभी तक जिला अदालत से यह निर्णय नहीं हो सका था कि यह वाद यहां चलने योग्य स्वीकार किया जाएगा या हाईकोर्ट ही इस मामले की सुनवाई कर सकेगा. हालांकि अदालत के फैसले के बाद अब ये साफ हो गया है कि मामला जिले के अधीनस्थ अदालत में चलेगा.

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