कानपुर: हाथ में कलावा और माथे पर तिलक देख रमेश बाबू शुक्ला को आतंकियों ने मार दी थी गोली

सिमर चावला

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उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की हत्या के मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई है. एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने आईएसआईएस के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को फांसी की सजा सुनाई है. वहीं तीसरे दोषी सैफुल्लाह को पुलिस ने मार्च 2017 में एक एनकाउंटर में मार गिराया था. 14 अक्टूबर, 2016 को रमेश बाबू की कानपुर के जाजमऊ इलाके में हत्या की गई थी.

7 साल पहले कानपुर के स्कूल के प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला को आतंकियों ने सिर्फ इसलिए गोली मार दी कि उनके हाथ में कलावा और माथे पर तिलक देखा था. परिवार के अनुसार रमेश बाबू शुक्ला घर में इकलौते कमाने वाले थे और जाजमऊ में एक स्कूल के प्रिंसिपल थे. वह पूजा-पाठ में विश्वास रखते थे और घर से स्कूल-कोचिंग और वापस घर के अलावा कहीं नहीं जाते थे.

मृतक रमेश शुक्ला के बेटे अक्षय ने बताया कि 7 साल पहले एक दिन उसे फोन आया कि उसके पिता को किसी ने गोली मार दी है. आनन-फानन में जब वह कांशीराम अस्पताल पहुंचा तो पिता को मृत घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद उसने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखवाया था.

अक्षय के अनुसार पुलिस ने पूछा था कि पिता की किसी से कोई रंजिश तो नहीं, समय बीत गया लेकिन समझ नहीं आया कि पिता की हत्या किसने और क्यों की थी? फिर हत्या में शामिल एक आतंकी सैफुल्लाह, जिसका यूपी एटीएस ने लखनऊ में एनकाउंटर किया था, उसके यहां से कुछ दस्तावेज निकले.

इसके बाद जांच कर रहे एक अधिकारी का रमेश बाबू के बेटे अक्षय के पास फोन आया और पूछा कि क्या आपके पिता हाथ में कलावा बांधते थे और पूजा-पाठ करते थे? बेटे अक्षय ने हां में जवाब दिया. जिसके बाद उस अधिकारी ने फोन रख दिया. इसके बाद अगले दिन मीडिया के माध्यम से अक्षय को पता चला कि सिर्फ हिंदू होने की वजह से उनके पिता की हत्या कर दी गई.

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फैसले पर रमेश बाबू की पत्नी ने ये कहा?

रमेश बाबू शुक्ला की पत्नी का कहना है कि वह खुश है कि आखिरकार उनको न्याय मिला और आरोपियों को फांसी.

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