शिलान्यास के 5 साल बाद जानें अब गोरखपुर खाद कारखाना कितना तैयार, कब होगा शुरू?

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खाद कारखाने के चालू होने का लंबे वक्त से इंतजार किया जा रहा है. बता दें कि 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कारखाने का शिलान्यास किया था.

अब एक ऐसे वक्त में जब यूपी के अलग-अलग हिस्सों से खाद की कमी की खबरें आई हैं, यूपी तक ने यह जानने की कोशिश की है कि गोरखपुर खाद कारखाना आखिर कब चालू होगा और इसके चालू होने में इतनी देरी क्यों हो रही है.

गोरखपुर में 1990 में बंद हुआ था खाद कारखाना

गोरखपुर में बंद हुए खाद कारखाने का इतिहास बहुत पुराना है. यहां पर कई हजार लोग नौकरी करते थे. मगर एक हादसे ने इस कारखाने का सब कुछ खत्म कर दिया और बहुत से परिवार बेरोजगार हो गए.

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चलती फैक्ट्री में एक मजदूर की मौत होना, इस कारखाने के लिए काल बन गया और साल 1990 में यह कारखाना बंद कर दिया गया. तमाम सरकारें आईं और चली गईं. इस बीच यह कारखाना राजनीति का केंद्र भी बना रहा, लेकिन 22 जुलाई 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद कारखाने का शिलान्यास किया तो लोगों को कुछ उम्मीदें जगीं.

इसके बाद 27 फरवरी 2018 को यह कारखाना फिर से शुरू करने के लिए तीनों कंपनियों HURL, TOYO और PDIL ने शुरुआत की.

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कब चालू हो सकता है खाद कारखाना?

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के वाइस प्रेसिडेंट टेक्निकल संजय गुप्ता और मुख्य प्रबंधक मार्केटिंग डॉक्टर रूपेश कुमार सिंह ने बताया कि दिसंबर मध्य तक इस कारखाने की टेस्टिंग कंप्लीट हो जाने की संभावना है.

उन्होंने यह भी बताया कि यहां पर 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड PRILL यूरिया प्रतिदिन तैयार होगा, इसके अलावा अमोनिया की कैपेसिटी 2200 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी.

पहले चरण में पांच राज्यों को सप्लाई देने वाला यह कारखाना उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सप्लाई देगा. इन सभी 5 राज्यों में डीलर और रिटेलर नियुक्त किए जा चुके हैं. दूसरे चरण में 1400 किलोमीटर की रेडियस में जो भी स्टेट आएंगे, उनको रेल-मार्ग से खाद भेजी जाएगी.

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चालू होने में देरी क्यों?

संजय गुप्ता ने बताया कि फर्टिलाइजर कारखाना तो अपने समय से ही चालू हो गया होता, पर कोविड-19 महामारी ने जैसे-जैसे अपना असर दिखाया, वैसे-वैसे वर्कर्स पर भी असर पड़ा. उन्होंने बताया, ”लगभग 7000 हजार वर्कर जो हमारे यहां काम कर रहे थे, वे लोग कोरोना से ग्रसित होने लगे, नतीजा यह रहा कि हमारे वर्करों की तादात धीरे-धीरे शून्य हो गई और लगभग 2 से 3 महीने काम भी प्रभावित हुआ, बीच में जब इसकी शुरुआत हुई तो फिर इधर लगातार बारिश ने भी कुछ दिन काम प्रभावित किया.”

इसके साथ ही संजय गुप्ता ने कहा, ”हमारे पास जो लगभग 7000 वर्कर पहले काम कर रहे थे, उनमें से मात्र 25 से 26 सौ वर्कर इस वक्त काम कर रहे हैं, फिर भी हमारा पूरा मैनेजमेंट लगा हुआ है, और ओवरऑल लगभग 95 पर्सेंट हमारे काम पूरे हो चुके हैं, जो बचे हुए काम हैं, वे भी जल्द पूरे हो जाएंगे.”

इसके आगे गुप्ता ने बताया, ”जहां से हमें सप्लाई मिलती है, वहां से भी सप्लाई देने में देर हुई है क्योंकि जो स्थिति यहां पर कोविड को लेकर थी, वही स्थिति लगभग हर जगह उत्पन्न हुई है.”

उन्होंने यह भी बताया कि अगर खाद कारखाने को रेनोवेट किया जाता तो संभव नहीं था कि वो अभी तक पूरा हो पाता, ”यह हमारा पूरा नया प्लांट है, इसको हम लोगों ने पूरे नए तरीके से और नई मशीनरी लगाकर स्थापित किया है.”

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