नोएडा: नाबालिग से ‘डिजिटल रेप’ के आरोप में 81 साल का आर्टिस्ट अरेस्ट, जानें क्या है ये

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नोएडा पुलिस ने डिजिटल तरीके से छेड़छाड़ कर नाबालिग बच्ची से रेप के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. इस आरोपी का नाम मॉरिस राइडर है जो मूल रूप से सिविल लाइंस इलाहाबाद का रहने वाला है और नोएडा में सेक्टर 46 इलाके में रह रहा था. पुलिस ने आरोपी को उसके घर से गिरफ्तार किया है.

दरअसल बच्ची के साथ रहने वाली महिला ने पुलिस में शिकायत दी है कि 17 साल की बच्ची के साथ 81 साल का व्यक्ति ने छेड़छाड़ और रेप की वारदात को अंजाम दिया है. पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि आरोपी लड़की को खुद का संरक्षक बताता था और अक्सर बच्ची को अश्लील वीडियो दिखाकर उसके साथ रेप और छेड़छाड़ की वारदात को अंजाम दे रहा था. आरोप यह भी है कि आरोपी पिछले 7 साल से इस तरह की हरकत कर रहा था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और जेल भेज दिया है.

सेक्टर-46 स्थित ए-284 नंबर मकान में मोरीस राइडर नामक व्यक्ति रहता है. वह मशहूर चित्रकार है. उसके यहां रहने वाली एक 17 वर्षीय किशोरी ने थाना सेक्टर-39 में रविवार को मुकदमा दर्ज कराया है कि जब वह 10 वर्ष की थी, तब मोरिस राइडर उसके पिता से उसका लालन-पालन करने के लिए कहकर उसे अपने घर पर लेकर आया था.

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बच्ची के अनुसार तभी से वह उसका यौन शोषण कर रहा है. पीड़िता जब इस बात का विरोध करती थी तो आरोपी उसके साथ मारपीट करता था. मॉरिस हिंदू था, बाद में उसने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था. आरोपी के साथ एक महिला भी करीब 20 वर्ष से रह रही थी. उसी महिला ने बच्ची के साथ थाने में आकर मुकदमा दर्ज करवाया है.

नोएडा के एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने कहा कि 14 तारीख को सेक्टर 39 थाने में एक महिला ने शिकायत दर्ज कराया, जिसमें उनका आरोप था कि वो एक नाबालिग बच्ची के साथ 80 वर्षीय व्यक्ति के घर में रहते हैं. उस व्यक्ति ने नाबालिग बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया.

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जानिए क्या है डिजीटल रेप

इस अपराध को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता में जोड़ा गया, जिसे “निर्भया अधिनियम” भी कहा जाता है. UP Tak बता रहा है कि इसका क्या मतलब है और इसका क्या असर होगा. डिजिटल रेप यानी एक महिला के यौन उत्पीड़न के लिए हाथ या पैर की उंगलियों का उपयोग करने की शारीरिक क्रिया भी है. वर्ष 2013 के बाद अब दुष्कर्म केवल ‘सहवास’ की क्रिया तक सीमित नहीं है.

सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा का कहना है कि इस अपराध को आईपीसी में जोड़ा गया था क्योंकि कई उदाहरण थे जहां हाथों या खिलौनों के माध्यम से एक महिला का यौन उत्पीड़न किया गया था जो पहले बलात्कार कानून के तहत नहीं आता था.

2013 के संशोधनों के बाद यौन हमले को अधिक व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है. अब यौन अंगों को छूना भी बलात्कार की श्रेणी में आता है. उंगलियों या खिलौनों के उपयोग को भी रेप की परिभाषा के दायरे में लाया गया है क्योंकि ऐसे कई मामले थे जहां एक लड़की को छुआ जाता था, लेकिन सहवास की कार्रवाई नहीं की जाती थी. इसका मतलब था कि अपराधियों को बरी कर दिया जाएगा, इसलिए प्रावधान का विस्तार करने का निर्णय लिया गया.

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इनपुट: अनीशा माथुर/ तनसीम हैदर

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