लखीमपुर हिंसा: SC के सुझाव पर रुख साफ करने के लिए यूपी सरकार को मिला और वक्त
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी किसी अन्य ‘अलग उच्च न्यायालय’ के एक पूर्व जस्टिस से दैनिक आधार पर कराने…
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सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी किसी अन्य ‘अलग उच्च न्यायालय’ के एक पूर्व जस्टिस से दैनिक आधार पर कराने के सुझाव पर शीर्ष अदालत को अवगत कराने के लिए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को 15 नवंबर का समय प्रदान कर दिया. लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ”क्या आप मुझे सोमवार तक का समय देंगे? मैंने इसे लगभग पूरा कर लिया है.”
पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा, ”मामले को सोमवार को सूचीबद्ध किया जाए.”
शीर्ष अदालत ने 8 नवंबर को जांच पर असंतोष व्यक्त किया था. पीठ ने सुझाव दिया था कि जांच में ”स्वतंत्रता और निष्पक्षता” को बढ़ावा देने के लिए, एक ”अलग उच्च न्यायालय” के एक पूर्व न्यायाधीश को दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करनी चाहिए,
पीठ ने यह भी कहा था कि उसे कोई भरोसा नहीं है और वह नहीं चाहती कि राज्य द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय न्यायिक आयोग मामले की जांच जारी रखे.
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राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई हिंसा की जांच के लिए नामित किया था.
राज्य सरकार को एक अन्य उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच की निगरानी के सुझाव पर अपने रुख के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था.
पीठ ने कहा था कि यह जांच उसकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं चल रही है और उसने अभी तक की जांच के संबंध में विशेष जांच दल से संबंधित कुछ मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की थी. पीठ ने कहा था, ‘‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि एक आरोपी विशेष (किसानों को कुचले जाने के मामले में) को किसानों की भीड़ द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पिटाई संबंधी दूसरे मामले में गवाहों से साक्ष्य हासिल करने के नाम पर लाभ देने का प्रयास हो रहा है.’’
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सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में से एक आशीष मिश्रा का मोबाइल फोन जब्त करने इस मामले में विशेष जांच दल की काफी आलोचना की थी. इस मामले में जब्त किए गए बाकी फोन किसानों को कथित रूप से कुचले जाने की घटना के गवाहों के थे.
न्यायालय ने कहा था, ‘हम दैनिक आधार पर जांच की निगरानी के लिए एक भिन्न उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के पक्ष में हैं और फिर देखते हैं कि अलग-अलग आरोप पत्र कैसे तैयार किए जाते हैं.’
पीठ ने सुनवाई के दौरान ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति रंजीत सिंह और न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नामों का सुझाव दिया था. पीठ का कहना था कि दोनों न्यायाधीश आपराधिक कानून के क्षेत्र में अनुभवी हैं और मामलों में आरोपपत्र दाखिल होने तक एसआईटी की जांच की निगरानी करेंगे.
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