लखीमपुर खीरी हिंसा: जानिए आशीष मिश्रा और किसानों के वकीलों ने चार्जशीट पर क्या-क्या कहा?

संतोष शर्मा

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उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने लखीमपुर खीरी हिंसा में किसानों को कुचले जाने के मामले में सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. इस मामले में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है. वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत में 5,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है.

इस मामले में आशीष मिश्र के वकील अवधेश सिंह और किसानों की तरफ से पैरवी कर रहे वकील मोहम्मद अमान ने क्या प्रतिक्रिया दी, खबर में आगे जानिए.

आशीष मिश्रा के वकील अवधेश सिंह ने कहा,

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“जो चार्जशीट फाइल हुई है वो गलत है, अभी तक आशीष मिश्रा के खिलाफ कोई सबूत नहीं थे, लेकिन अब कैसे सबूत ले आए हैं, उनको परखना होगा. मैं आशीष मिश्रा की तरफ से कहता हूं कि कोई सबूत नहीं हैं, सारे सबूत फर्जी हैं, फैब्रिकेटेड हैं. गलत तथ्य पर फाइल हुई है चार्जशीट, हम इसको आगे चैलेंज करेंगे.”

अवधेश सिंह

हालांकि, अवधेश सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें अभी चार्जशीट मिली नहीं है और मिलने पर वह देखेंगे कि क्या पहलू है.

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इसके अलावा उन्होंने कहा, “वीरेंद्र शुक्ला का नया नाम आया है. स्कॉर्पियो जो मौजूद थी, वो बताया गया है कि उनकी थी. पर स्कॉर्पियो के पंजीकृत स्वामी वीरेंद्र शुक्ला नहीं हैं, उस स्कॉर्पियो को वीरेंद्र यूज करते थे.”

वहीं, किसानों की पैरवी कर कर रहे वकील मोहम्मद अमान ने कहा,

“एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल की है, एक नाम बढ़ाया है वीरेंद्र कुमार शुक्ला का क्योंकि उसके नाम पर स्कॉर्पियो गाड़ी है. जब हमने एफआईआर दर्ज कराई थी तो उसमें तहरीर में नाम था अजय मिश्रा टेनी का, नामजद नहीं किया गया था उनको…एसआईटी की टीम को हमने एप्लिकेशन दी थी कि एफआईआर में टेनी का नाम बढ़ाया जाए. आज जब चार्जशीट लगी तो मुझे उम्मीद थी कि इसमें अजय मिश्रा टेनी का नाम आएगा, लेकिन उनका नाम इसमें नहीं है.”

मोहम्मद अमान

उन्होंने आगे कहा, “विरोधाभास देखिए वीरेंद्र शुक्ला का नाम बढ़ाया गया है क्योंकि उसके नाम पर स्कॉर्पियो गाड़ी है, लेकिन थार गाड़ी अजय मिश्रा टेनी के नाम पर है, उनका नाम चार्जशीट में नहीं है. चार्जशीट में अजय मिश्रा का नाम होना चाहिए था, इसलिए हम इससे सहमत नहीं नहीं हैं.”

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गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खेरी के तिकुनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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