संत, संपत्ति और साजिश: इस खूनी गठजोड़ ने ले ली दर्जनों साधुओं की जान

तनसीम हैदर

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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की प्रयागराज में 20 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. जिसके बाद एक बार फिर से ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या संतों का मन संपत्ति में लग गया है? अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कथित सुसाइड नोट में भी जिस विवाद का जिक्र किया है, वो भी फिलहाल संपत्ति से जुड़ा ही बताया जा रहा है. यह कोई पहला मामला नहीं है, जब संपत्ति के विवाद में किसी संत की जान ली हो. इससे पहले भी कई साधु संतों की संपत्ति विवाद को लेकर जान जा चुकी है.

90 के दशक की बात करें तो साल 1991 में एक संत की हत्या से सनसनी फैली थी. 25 अक्टूबर, 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम के बाहर टहल रहे थे, तभी स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेर लिया. उनको गोली मारी गई और फिर चाकू से गोदकर बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. कत्ल ओ गारत का यह सिलसिला यहीं पर नहीं रुका, बल्कि 9 दिसंबर, 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही संत राघवाचार्य के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई थी.

साधु-संतों की कब-कब हुई हत्या

  • हरिद्वार में चेतनदास कुटिया में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई. हरिद्वार में ही 5 अप्रैल 2001 को बाबा सुतेन्द्र बंगाली की हत्या की गई थी.

  • 6 जून 2001 को हरकी पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णुगिरि समेत चार साधुओं की हत्या.

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  • 26 जून 2001 को ही एक अन्य बाबा ब्रह्मानंद की हत्या. इसी साल पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली से उड़ा दिया गया.

  • 17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद व उनके चेले की हत्या. एक अन्य संत नरेन्द्र दास की भी हत्या की गई.

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  • 6 अगस्त, 2003 को संगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब. 7 सितंबर 2003 को हत्या का खुलासा. आरोपी गोपाल शर्मा पकड़ा गया था.

  • 28 दिसंबर 2004 को संत योगानंद की हत्या. हत्यारों का आज तक पता नहीं चला.

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  • 15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या. संपत्ति पर सरकारी कब्जा.

  • 25 नवंबर 2006 को सुबह इंडिया टैम्पल के बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या. तीन हत्यारे गिरफ्तार, साजिश के तार अयोध्या से जुड़े.

  • 8 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को दिया गया जहर. कोई आरोपी नहीं पकड़ा गया.

    • 14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के सर्वोच पद पर आसीन महंत सुधीर गिरि की हत्या हुई.

    • 26 जून 2012 तिहरे हत्याकांड ने पूरे हरिद्वार सहित उत्तराखंड प्रशासन को हिलाकर रख दिया. हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर में देर रात तीन संतों के ऊपर हमला हुआ. जिसमें तीनों की मौत हो गई. पुलिस इस मामले को भी सम्पति विवाद बता रही है.

    • 12 अगस्त 2018 की रात अलीगढ़ के पाली मुकीमपुर थाना क्षेत्र के भूडरा आश्रम रोड पर बने एक शिव मंदिर में अज्ञात हमलावरों ने धावा बोल दिया था. हमले के वक्त मंदिर में दो पुजारियों समेत तीन लोग सो रहे थे. हमलावरों ने डंडों से पीट-पीटकर दो लोगों की हत्या कर दी और तीसरे को मरा हुआ समझकर फरार हो गए. मृतकों में मंदिर के 70 वर्षीय पुजारी शामिल थे.

    • 14 सितंबर 2018 की रात अलीगढ़ के हरदुआगंज के कलाई गांव के पास बसे दुरैनी आश्रम में भी ऐसी ही घटना हुई थी. यहां भी अज्ञात हमलावरों ने एक साधु की डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी.

    • 28 अप्रैल 2020 बुलंदशहर में मंदिर परिसर में सो रहे दो साधुओं की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई. बुलंदशहर के अनूपशहर कोतवाली के गांव पगोना में स्थित शिव मंदिर पर पिछले करीब 10 वर्षों से साधु जगनदास उम्र (55) वर्ष और सेवादास (35) रहते थे. दोनों साधु मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना में लीन रहते थे.

    • 1 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक ट्रिपल मर्डर की घटना से सनसनी फैल गई. गांव के बाहर एकांत में एक आश्रम बनाकर रह रहे एक साधु, साथ रहने वाली साध्वी और बेटे की किसी ने ईंट, पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी. तीनों के शव मकान के बाहर चारपाई पर पड़े मिले थे.

    • 29 जून 2021 मेरठ के थाना मुंडाली क्षेत्र के बढ़ला गांव में साधु चंद्रपाल का शव मिला था. बताया जा रहा था कि साधु चंद्रपाल गांव के ही एक मंदिर में रह रहे थे. शव को देखकर लग रहा था कि किसी ने ईंट से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी.

    हैरानी की बात यह है कि अधिकतर वारदातों में कारण संपत्ति ही नजर आई. कहीं आश्रम का झगड़ा तो कहीं मठ की लड़ाई के चलते साधु-संतों के कत्ल की वारदातें सामने आई हैं. गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव में भी जूना अखाड़े के दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.

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