अलीगढ़ होगा हरिगढ़? जानिए क्या है पूरा मामला
शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो ऐंड जूलियट’ की एक फेमस लाइन है “नाम में क्या रखा है?. लेकिन उत्तर प्रदेश में मामला थोड़ा हटकर है. यहां…
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शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो ऐंड जूलियट’ की एक फेमस लाइन है “नाम में क्या रखा है?. लेकिन उत्तर प्रदेश में मामला थोड़ा हटकर है. यहां…
शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो ऐंड जूलियट’ की एक फेमस लाइन है “नाम में क्या रखा है?. लेकिन उत्तर प्रदेश में मामला थोड़ा हटकर है. यहां आदमी, तो आदमी. सरकारें भी नाम बदलने में माहिर हैं. जब मायावती की सरकार थी उन्होंने कई जिलों के नाम बदले.
अखिलेश यादव ने भी अपने कार्यकाल में यही किया और योगी सरकार भी इस दौड़ में शामिल है. आप जानते हैं कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया जा चुका है. लेकिन इस वक्त चर्चा चल रही है अलीगढ़ की. अलीगढ़ के नाम को बदलकर हरिगढ़ किए जाने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए जिला पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित किया है.
इस कहासुनी के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्या जिला पंचायत के प्रस्ताव पारित करने के बाद नाम बदल जाएगा. इसका पूरा प्रॉसेस क्या है? दरअसल, इसके लिए पहले जिला प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा जाता है. इसके बाद इसे विधानसभा से पारित करके राज्यपाल के पास भेजना होता है. सीधे शब्दों में कहें, तो इस मामले में पहले प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है.
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राज्य सरकार से पास होकर इसे केंद्र सरकार के चली जाती है. कुल मिलकार गृहमंत्रालय फैसला लेते हैं. अगर केंद्र सरकार इसके लिए मंजूरी मिलती है, तब राज्य सरकार जिले के नाम को बदलने की अधिसूचना जारी करती है या फिर एक गजट प्रकाशित किया जाता है. प्रकाशन के बाद इसकी कॉपी जिला के डीएम के पास भेज दिया जाता है. इसके बाद नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
यह प्रक्रिया काफी लंबी है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बोर्ड पर नाम बदल दिया जाता है. इसके लिए भी स्टेशनरी, मोहरों और साइन बोर्ड इत्यादि के नाम बदले जाते है. काफी व्यापक बदलाव किए जाते है. वहीं, अगर अलीगढ़ की बात करें, तो फिलहाल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या करना है कि अभी सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया. अब आगे आगे देखिए, होता है क्या.
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