उत्तर और दक्षिण का होगा ‘काशी-तमिल संगमम’ में मिलन, 19 नवंबर को पीएम करेंगे शुभारंभ

रोशन जायसवाल

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19 नवंबर से 16 दिसंबर का वह वक्त रहेगा जब पूरा का पूरा तमिलनाडु काशी में उतरा नजर आएगा और एक माह तक इस उत्तर…

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19 नवंबर से 16 दिसंबर का वह वक्त रहेगा जब पूरा का पूरा तमिलनाडु काशी में उतरा नजर आएगा और एक माह तक इस उत्तर और दक्षिण के मिलन के दौरान सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामजिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान होगा. माह पर्यंत चलने वाला ‘काशी-तमिल संगमम’ कार्यक्रम बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में होगा. जिसका शुभारंभ पीएम मोदी के हाथों 19 नवंबर से होगा.

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उत्तर-दक्षिण के मिलन का एक माह का भव्य आयोजन अब बस कुछ ही दिनों बाद 19 नवंबर से बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में शुरू होने वाला है. जिसका शुभारंभ खुद पीएम मोदी अपने वाराणसी के एक दिवसीय दौरे के दौरान करेंगे.

पीएम मोदी 19 नवंबर को दोपहर में वाराणसी के एयरपोर्ट पहुंचेगे और फिर वहां से हैलीकाप्टर से बीएचयू हैलीपैड आएंगे. फिर पीएम काशी-तमिल संगमम में लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे और मौजूद लोगों को संबोधित भी करेंगे. पीएम करीब साढ़े तीन घंटे बिताने के बाद वापस दिल्ली रवाना हो जाएंगे.

काशी-तमिल संगमम के सांस्कृतिक प्रभारी वाराणसी परिक्षेत्र के पुरातत्व अधिकारी सुभाष यादव ने बताया कि यह कार्यक्रम उत्तर और दक्षिण के संगम का सुंदर प्रयास है. कोशिश है कि कार्यक्रम पूरी तरह से सफल रहे.

सुभाष यादव के अनुसार 17 नवंबर से तमिलनाडु का कार्तिक मास शुरू होगा जो एक माह तक चलेगा. तमिल की परंपरा के अनुसार वहां के लोग शिव मंदिरों में पूरे कार्तिक मास दीपक जलाते हैं. इस बार निवेदन है कि तमिलनाडु के लोग काशी विश्वनाथ धाम में दीपक जलाएं. इसी के तहत एक माह तक कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें 12 ग्रुप में ढाई हजार लोग वाराणसी आएंगे और भ्रमण करेंगे और फिर प्रयागराज, अयोध्या होकर वापस काशी आकर तमिलनाडु वापस चले जाएंगे.

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सुभाष यादव ने बताया कि इस दौरान पूरे एक माह तक वाराणसी के बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में तमिलनाडु के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, कुजिन और शैक्षिणिक प्रदर्शनी भी लगेगी. वाराणसी के लोगों के लिए प्रदर्शनी लगेगी और प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूरे माह में तमिलनाडु के लगभग 500 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. इस तरह पूरे माह का यह भव्य आयोजन है.

उन्होंने आगे बताया कि जिस तरह का सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक समन्वय हो सकता है, यह पूरे देश को देखने को मिलेगा. पूरे एक माह अलग-अलग विधा के लोग छात्र, अध्यापक, धार्मिक और व्यापारी लोग भी इसमें शामिल होंगे. इस तरह से यह न केवल सांस्कृतिक समन्वय है, बल्कि आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक सामन्जस्य भी है.

वहीं काशी-तमिल संगमम के संयोजक और भारतीय भाषा समिति दिल्ली के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पूरे कार्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय आयोजित कर रहा है और आईआईटी मद्रास और बीएचयू मिलकर कार्यक्रम को कर रहें हैं.

यह पीएम मोदी की संकल्पना है और शिक्षा मंत्रालय इसका क्रियान्वयन कर रहा है. इसके तहत मद्रास आईआईटी द्वारा तमिलनाडु के द्वारा ढाई हजार डेलीगेट्स का चयन किया गया. जो 12 समूह में आएंगे और कार्यक्रम में शामिल होंगे. जो संगोष्ठियों में भी हिस्सा लेंगे. 30 दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम होंगे और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा.

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इस दौरान तमिलनाडु के चाहे लोक या शास्त्रीय कला हो उसकी रोजाना प्रस्तुति भी होगी. इसके अलावा हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के स्टाॅल भी लगेंगे. इसके अलावा तमिलनाडु के सभी व्यंजनों को भी अलग-अलग स्टाॅल पर लगाया जाएगा और पुस्तक प्रदर्शनी भी लगेगी और लघु फिल्मों के जरिए तमिलनाडु का दर्शन भी कराया जाएगा.

इस मामले से जुड़ी वीडियो रिपोर्ट को खबर की शुरुआत में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक कर देखें.

‘काशी तमिल संगमम’ में नॉलेज पार्टनर होंगे आईआईटी मद्रास और बीएचयू

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