यूपी चुनाव 2022: संभल में कब डाले जाएंगे वोट, क्या है जिले की सियासी तस्वीर? जानिए

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चुनाव आयोग (Election Commission) ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जाहिर सी बात है संभल वासियों को यह जानने की उत्सुकता होगी कि जिले में वोटिंग कब होगी? आपको जिज्ञासा को दूर करते हुए बताते हैं कि संभल, चंदौसी, असमौली और गुन्नौर विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.

आपको बता दें कि यूपी में 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे, जबकि चुनाव के नतीजे 10 मार्च को सामने आएंगे.

संभल जिले की प्रोफाइल को विस्तार से जानिए-

मुरादाबाद और बदायूं जिले से टूटकर बना संभल जिला आगामी विधानसभा चुनाव में एसपी और बीजेपी के लिए अहम जिला है. मुरादाबाद और बदायूं से नजदीकी होने के चलते इस जिले में एसपी का प्रभाव ज्यादा रहता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी का गढ़ माने जाने वाले संभल में बीजेपी के सत्यपाल सैनी ने जीतकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एसपी के बीच बराबरी का प्रदर्शन रहा. दोनों ने 2-2 विधानसभा सीटें जीती थीं. लेकिन 2019 के लोकसभा में एसपी के शफीकुर्रहमान बर्क ने वापसी करते हुए संभल सीट पर कब्जा जमाया था. अब आगामी विधानसभा चुनाव में इस बात पर नजर रहेगी कि संभल विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी या एसपी के अलावा बीएसपी भी कोई कमाल कर पाती है या नहीं? आइए संभल जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं.

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संभल जिला 28 सितंबर, 2011 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा घोषित किए गए 3 नए जिलों में से एक के तौर पर सामने आया था. प्रचलित लोक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में इस जगह का नाम सत्यव्रत था, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में इसका नाम संभल पड़ा. भगवान श्री कल्कि का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर भी संभल जिले में स्थित है.

कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के मुताबिक, “68 तीर्थ मध्य में शिवलिंग-कूप कदम न्यारे, दिशा दक्षिणी बहती गंगा, हर मंदिर प्यारे. ये सारी निशानियां उत्तर प्रदेश के संभल में हैं. जो अब जिला बन चुका है, इसलिए अब संभल को निर्विवाद रूप से कल्कि अवतार की भूमि माना जाना चाहिए.”

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संभल जिले में हैं कुल 15,64,403 मतदाता

अनुमानित मतदाता – 40% मुस्लिम (6,25,761)

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अनुमानित मतदाता – 60% हिंदू (9,38,641)

2017 के विधानसभा चुनाव में संभल की 4 विधानसभा सीटों में से 2 बीजेपी और 2 एसपी ने जीती थीं.

2012 के विधानसभा चुनाव में संभल जिले में एसपी का दबदबा रहा था. एसपी ने एकतरफा प्रदर्शन करते हुए जिले की चारों विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी.

आइए विस्तार से देखते हैं कि 2012 और 2017 में संभल विधानसभा क्षेत्र में क्या थी सियासी तस्वीर.

असमोली

2017: इस चुनाव में एसपी की पिंकी यादव ने बीजेपी के नरेंद्र सिंह को हराया था. दोनो के बीच 21,126 वोटों का अंतर था.

2012: इस बार के चुनाव में भी एसपी की पिंकी यादव की जीत हुई थी. इस बार उन्होंने बीएसपी के अकील उर रेहमान को 26,389 वोटों से हराया था.

संभल

2017: इस चुनाव में एसपी के इकबाल मेहमूद ने एआईएमआईएम के जिआउर्रहमान को 18,822 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में भी एसपी के इकबाल महमूद की जीत हुई थी. उन्होंने बीजेपी के राजेश सिंघल को 30,047 वोटों से हराया था.

चंदौसी

2017: इस चुनाव में बीजेपी की गुलाब देवी ने चंदौसी विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया था. उन्होंने कांग्रेस की विमलेश कुमारी को 45,469 वोटों से हराया था. गुलाब देवी योगी सरकार में मंत्री भी हैं.

2012: इस बार हुए चुनाव में इस सीट पर एसपी की जीत हुई थी. एसपी की लक्ष्मी गौतम ने बीजेपी की गुबाल देवी को 4,007 वोटों से हराया था.

गुन्नौर:

2017: इस चुनाव में बीजेपी के अजीत कुमार और राजू की जीत हुई थी. उन्होंने एसपी के राम खिलाड़ी सिंह को 11,386 वोटों से हराया था.

2012: इस चुनाव में गुन्नौर की सीट पर एसपी की जीत हुई थी. एसपी के राम खिलाड़ी सिंह ने कांग्रेस के अजीत कुमार को 46,658 वोटों से हराया था.

शिवपाल सिंह यादव लड़ सकते हैं गुन्नौर विधानसभा सीट से चुनाव

चर्चाएं गर्म हैं कि प्रगतिशील सामाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव आगामी विधानसभा चुनाव में गुन्नौर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पिछले दिनों उनके गुन्नौर दौरे ने इस चर्चा को और हवा दी थी. खबर ये भी है कि शिवपाल खुद इस सीट से खड़े न होकर अपनी पार्टी का कोई प्रत्याशी भी लड़ा सकते हैं. अगर ये खबर सच हो जाती है तो आगामी चुनाव में इसका बीजेपी को फायदा मिल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि शिवपाल या उनके प्रत्याशी के खड़े होने से एसपी के वोटों में बंटवारा हो जाएगा.

जिला मुख्यालय को लेकर रहती है रार

संभल जिला सिर्फ नाम का जिला है. हम इसलिए ऐसा कह रहे हैं क्योंकि जिले का नाम तो संभल है लेकिन इसका मुख्यालय बहजोई में है. इस मुद्दे को लेकर काफी विवाद रहता है. बहजोई, चंदौसी और गुन्नौर के लोग जिला मुख्यालय संभल में बनाए जाने के विरोध में रहते हैं. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा राजनीतिक पार्टियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

संभल शहर के लोग आज भी कर रहे रेल आने का इंतजार

संभल लोकसभा सीट होने के बावजूद आज भी संभल शहर में रेल सेवा का ना होना एक बड़ी समस्या है. छेत्रवासी सालों से संभल से गजरौला तक रेलवे लाइन की मांग कर रहे हैं. चुनावी मुद्दा होने के बावजूद इस ओर आजतक कोई ठोस काम नहीं उठाया जा सका है.

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