CM योगी ने कहा- ‘चंद्रगुप्त मौर्य से जो हारा, उस सिकंदर को महान बताया’, पर क्या यह सच है?

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इतिहास कैसे विकृत किया जाता है. इतिहास में अशोक को या फिर चंद्रगुप्त मौर्य को महान नहीं बताया गया. किसको बताया? चंद्रगुप्त मौर्य से जो हारा था, उस सिकंदर को महान बता दिया गया. कितना धोखा देश के साथ हुआ था.

सीएम योगी आदित्यनाथ

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछड़ा मोर्चा द्वारा आयोजित सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन में बोलते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने भारत के प्राचीन इतिहास से जुड़ी एक ऐसी बात कही है, जिसपर विवाद हो गया है. असल में सीएम योगी ने कार्यक्रम में बोलते हुए दावा किया कि इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य को महान नहीं बताया गया, बल्कि उनसे हारने वाले सिकंदर को महान बताया गया. सीएम योगी ने दावा किया कि ऐसा करके देश के साथ धोखा हुआ. सीएम योगी का ऐसा कहना था कि सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारे से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. लोग इतिहासबोध को लेकर सवाल उठाने लगे. एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसके जवाब में कहा कि ‘हिंदुत्व एक झूठे इतिहास की फैक्ट्री है’. ओवैसी ने कहा कि चंद्रगुप्त और अलेक्जेंडर (सिकंदर) के बीच कभी युद्ध हुआ ही नहीं.

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बहरहाल, सोशल मीडिया पर मचे बवाल और सियासी रार से इतर बड़ा सवाल यह है कि क्या सीएम योगी ने भारत के प्राचीन इतिहास से जुड़ी घटना पर जो कहा वह सच है या नहीं? इस बात की पड़ताल के लिए यूपी तक ने सीधा इतिहास की किताबों और एक्सपर्ट्स का रुख किया. हमने जानना चाहा कि आखिर चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर के जमाने में क्या हुआ था?

क्या कहती है इतिहास की किताब?

हमने चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर से जुड़े हालिया विवाद की तहतक जाकर सच्चाई पता लगाने के लिए एनसीईआरटी की इतिहास की किताब का सहारा लिया. हमने 11वीं क्लास की ओल्ड एनसीईआरटी हिस्ट्री बुक को खंगाला. इसके ‘द एज ऑफ मौर्याज’ नाम के चैप्टर में चंद्रगुप्त मौर्य के इतिहास का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि मौर्य साम्राज्य का गठन चंद्रगुप्त मौर्य ने किया था. इसके मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी-पश्चिमी भारत को ग्रीक सूबेदार सेल्युकस के कब्जे से मुक्त कराया था. किताब में बताया गया है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने संभवतः युद्ध में सेल्युकस को पराजित किया. हालांकि दोनों लोगों में संधि हुई और 500 हाथियों को वापस लौटाए जाने के बदले में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को पूर्वी अफगानिस्तान, बलूचिस्तान समेत सिंधु के पश्चिम के कुछ हिस्से दिए.

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इसमें आगे बताया गया है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने एक बड़े साम्राज्य का निर्माण किया, जिसमें न सिर्फ बिहार, ओडिशा, बंगाल के हिस्से थे बल्कि पश्चिमी, उत्तरी-पश्चिमी भारत और दक्कन भी शामिल था. सिर्फ केरल, तमिलनाडु और उत्तरी-पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए, तो मौर्य साम्राज्य के अधीन पूरा उपमहाद्वीप ही था. मौर्य साम्राज्य में ऐसे हिस्से भी थे, जो ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान भी नहीं थे.

पर क्या चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर से युद्ध किया था, उन्हें हराया था?

एनसीईआरटी की किताब में चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर के बीच किसी भी युद्ध का कोई जिक्र नहीं है. तथ्य तो यह है कि सेल्युकस से हुए कथित युद्ध और संधि से पहले ही सिकंदर की मौत हो चुकी थी.

कौन था सेल्युकस?

हमने इस संबंध में भी इंटरनेट पर पड़ताल की. हमें इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) के ईज्ञानकोष (egyankosh) प्लेटफॉर्म पर इस संबंध में प्रामाणिक जानकारी मिली. इसके मुताबिक 324 ईपू. सिकंदर पर्सिया लौट गया और अगले साल यानी 323 ईपू. में उसकी मौत हो गई. सिकंदर की मौत के बाद उसके साम्राज्य का बंटवारा हुआ. यह मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बंटा, जिसमें एक हिस्सा सेल्युकस का हुआ. सेल्युकस तब सिंधु नदी के पास अपना साम्राज्य बढ़ाने लगा. इसी क्रम में सेल्युकस और चंद्रगुप्त मौर्य का आमना-सामना हुआ और यहां दी गई जानकारी के मुताबिक 303 ईपू. में दोनों के बीच संधि हुई.

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सिकंदर, सेल्युकस और चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में इतिसाह की प्रामाणिक जानकारी को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है.

क्या कहते हैं इतिहासकार?

यूपी तक ने इस संबंध में युवा इतिहासकार और जय प्रकाश विश्वविद्यालय ,छपरा में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी से संपर्क किया. उन्होंने भी बताया कि चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर के बीच में कोई युद्ध नहीं हुआ था. डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी ने बताया,

जिन तीन शासकों का जिक्र किया गया है, यानी सिकंदर, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक, ये तीनों शासक अपने समय के महान शासक थे. प्राचीन विश्व के इतिहास में सिकंदर की एक बड़ी भूमिका है, इसलिए सिकंदर महान है. लेकिन इसकी चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक से तुलना करना ऐतिहासिक दृष्टि से ठीक नहीं है. युद्ध सिकंदर और पोरस के बीच हुआ था. पोरस ने सिकंदर के खिलाफ जबर्दस्त ‘भारतीय प्रतिरोध’ का प्रदर्शन किया. सिकंदर के लौटने के बाद जो उसका एशियाई प्रांतपति था, सेल्युकस, उसके और चंद्रगुप्त मौर्य के बीच 305 ईपू. के आसपास युद्ध की बात होती है, लेकिन इसके ऐतिहासिक साक्ष्य मौन हैं. इसमें कौन जीता-कौन हारा इसका कुछ खास विवरण मौजूद नहीं है.

इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी

डॉ. रितेश्वर आगे कहते हैं कि, ‘इन दोनों के बीच में संधि जरूर हुई. इसका विवरण युनानी लेखकों की राइटिंग्स में मिलता है. संधि में हमेशा एक पक्ष कमजोर होता है और एक पक्ष मजबूत (एक हॉर्स होता है और एक राइडर). इस संधि में सेल्युकस का पलड़ा हल्का था, चाहे उसके जो कारण हों. इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य से सेल्युकस के साम्राज्य के बीच राजनीतिक और वैवाहिक संबंध स्थापित हुए.’

वह अंत में बताते हैं कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि सिकंदर और चंद्रगुप्त मौर्य के बीच में कोई युद्ध हुआ था.

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