UP में 917 सहायक प्रोफेसर पद भर्ती मामले में बड़ा अपडेट, हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा ये सवाल
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है कि क्यों न डाक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी के सिद्धांत के तहत उच्चतर शिक्षा सेवा…
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Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है कि क्यों न डाक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी के सिद्धांत के तहत उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज को कोरम पूरा न होने के बावजूद चयन व साक्षात्कार लेने का निर्देश दिया जाए. याची अधिवक्ता अनूप बर्नवाल का कहना है कि सरकार उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा व प्राथमिक शिक्षा का एक चयन आयोग बनना चाहती है, इसलिए आयोग व बोर्ड के सदस्यो का कार्यकाल पूरा होने से खाली पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही है.
कोरम के अभाव में चयन प्रक्रिया रुकी हुई है. उन्होंने नजीरें भी दी कि ऐसे मामलों में डाक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी का सिद्धांत लागू कर बचे सदस्यों को चयन पूरा करने की अनुमति दी जाए. इसपर न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा कैबिनेट के निर्णय जब तक कानून न बन जाएं, वर्तमान कानून पर प्रभावी नहीं होंगे. सरकार किसी संस्था को निरर्थक नहीं कर सकती.
16 मई को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि कोरम पूरा न होने के बावजूद बचे सदस्य चयन प्रक्रिया पूरी करें. याचिका की सुनवाई 16 मई को होगी. महेंद्र सिंह व तीन अन्य की याचिका पर सरकार की तरफ से कहा गया कि आयोग का कोरम तीन सदस्यों का है. इस समय दो ही सदस्य हैं. 2022 में शुरू हुई 917 सहायक प्रोफेसरों की भर्ती को पूरा करने की मांग याचिका में की गई है.
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इसमें कहा गया है कि 2014 के उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग नियमावली के अंतर्गत कम से कम 3 सदस्यों का होना आवश्यक है, इसलिए चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पा रहा है. इसका जवाब देते हुए याची अधिवक्ता अनूप बरनवाल ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में (डाक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी)आवश्यकता का सिद्धांत लागू करना न्यायहित में है.
ललित मोदी और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा आयोग में नियुक्ति न करने के आधार पर चयन प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए लंबित नहीं किया जा सकता है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सभी स्तर के आयोगों का एकीकरण कर एक आयोग बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया गया है.
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राज्य सरकार की इस दलील को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम, 1980 विधायिका द्वारा पारित विद्यमान कानून है और वर्तमान में लागू है. मात्र कैबिनेट के प्रस्ताव के आधार पर इस कानून को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है. न्यायमूर्ति अजित कुमार ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि या तो वह कोरम पूर्ण करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, नहीं तो वह अगली तिथि को ‘आवश्यकता का सिद्धांत’ लागू करते हुए वर्तमान आयोग को चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए हलफनामा दे.
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