वाराणसी में PM मोदी बोले- ‘मेरे लिए जनता ईश्वर का ही रूप’, मांगे 3 संकल्प

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया. इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ”अभी मैं बाबा के साथ-साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूं, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं.”

प्रधानमंत्री ने कहा,

”काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा. ये परिसर साक्षी है हमारी सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का. अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं. हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है. हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं. चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं.”

पीएम नरेंद्र मोदी

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उन्होंने कहा कि आज का भारत अयोध्या में सिर्फ प्रभु श्री राम का मंदिर ही नहीं बना रहा बल्कि देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है, नए भारत में विरासत भी है और विकास भी है.

पीएम मोदी ने कहा, ”मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप है, हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है, इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं. मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास.”

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है. भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है.”

इसके अलावा उन्होंने कहा,

  • ”विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का. ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का. ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का, भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का.”

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  • ”आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे. आपको यहां अपने अतीत के गौरव का एहसास भी होगा. कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं,

  • इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं.”

  • ”पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है. अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं. यानी पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम”

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”काशी तो काशी है. काशी तो अविनाशी है. काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है. जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है?”

    उन्होंने कहा,

    ”आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए. औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है. जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की. लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है. यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं. अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं और अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं.”

    पीएम नरेंद्र मोदी

    उन्होंने कहा कि काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है. पीएम ने कहा, ”काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है. काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है. काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है. काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है.”

    प्रधानमंत्री ने कहा, ”काशी भारत की आत्मा का एक जीवंत अवतार भी है. काशी में मंदिर तोड़ा गया तो महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका निर्माण करवाया, मैं उन्हें नमन करता हूं.”

    उन्होंने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद काशी के लिए इतना काम अब हुआ है, महाराजा रंजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़वाया था.

    PM मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के पहले फेज का उद्घाटन

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