जो बच्चे मोदी-योगी कहते थे वह डरे हुए…नजूल जमीन बिल को लेकर प्रयागराज के लोगों की बात सुन लीजिए
UP News: अभी के लिए चाहे योगी आदित्यनाथ सरकार ने नजूल संपत्ति बिल ठंडे बस्ते में डाल दिया हो. मगर नजूल जमीन पर रह रहे लाखों-करोड़ों लोग अब डरे हुए हैं. उन्हें हर दिन इस बात का डर लग रहा है कि जिन घरों को उनके दादा-पापा ने बनाया, उन घरों से उनको बेदखल कर दिया जाएगा और वहां बुलडोजर एक्शन होगा. कुछ ऐसा ही डर प्रयागराज में भी देखने को मिल रहा है.
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UP News: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इन दिनों नजूल भूमि विधेयक को लेकर काफी चर्चाओं में हैं. जिस तरह से ये बिल विधानसभा में लाया गया और फिर विधान परिषद में इसे रोका गया, उसने यूपी की सियासत में हलचल पैदा कर दी है. दरअसल नजूल भूमि विधेयक को लेकर सिर्फ सपा के ही नहीं बल्कि भाजपा के भी कई विधायक नाखुश थे और लगातार इस बिल को लेकर अपना डर जाहिर कर रहे थे.
माना जा रहा है कि फिलहाल ये बिल ठंडे बस्ते में चला गया है. इस बिल को प्रवर समिति को भेज दिया गया है. मगर इस बिल को लेकर नजूल भूमि पर रह रहे लोगों में काफी डर है और अपने भविष्य को लेकर चिंता भी है. कई लोगों का कहना है कि योगी सरकार अभी भी इस बिल से पीछे नहीं हट रही है और वह भविष्य में फिर ये बिल ला सकती है, जिसका उनकी जिंदगी पर काफी प्रभाव पड़ेगा. लोगों का साफ कहना है कि जो तेवर योगी सरकार ने इस बिल को लेकर अपनाए हुए हैं, उससे साफ दिखता है कि आने वाले दिनों में उन लोगों को उनके अपने ही मकानों से बेदखल कर दिया जाएगा.
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प्रयागराज के लाखों लोगों में इस बिल को लेकर डर
हम आपको संगम नगरी प्रयागराज लेकर चलते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, प्रयागराज शहर का एक तिहाई हिस्सा सरकारी जमीन पर ही बसा हुआ है. ज्यादातर जमीन नाजूल भूमि ही है. इन जमीनों पर प्रयागराज में ही लाखों लोग रह रहे हैं और उन्होंने वहां अपना घर बना रखा है. अब इस बिल को लेकर जो-जो खबरे सामने आ रही हैं, उसकी वजह से प्रयागराज के लोग काफी डरे हुए हैं. उन्हें लग रहा है कि अगर योगी सरकार ये बिल फिर ले आई और ये पास हो गया तो सरकार उनको उनकी जमीन और घरों से निकाल देगी.
प्रयागराज का लूकरगंज शहर का एक हाई प्रोफाइल इलाका है. यहां बड़े घर बने हुए हैं और यहां जमीन काफी महंगी भी है. मगर अब यहां के लोग डरे हुए हैं. यहां हजारों लोग ऐसे हैं, जो 3-4 पीढ़ियों से रह रहे हैं. लूकरगंज में रहने वाले एक शख्स का कहना है कि यहां कई परिवार 80-80 या 100-100 सालों से रह रहे हैं. उनकी पीढ़ियां यहां रहते-रहते गुजर गईं. यहां लाखों इंसानों के भविष्य की बात है. यहां करीब 20 हजार मकान हैं और लाखों जनता इस बिल से प्रभावित होंगे.
'लोगों को नींद नहीं आ रही है…'
लूकरगंज के रहने वाले एक अन्य शख्स ने कहा कि उनके पिता ने यहां जमीन खरीदी थी और मकान बनाया था. मगर अब सब खतरे में आ गया है. हम तो मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि वह जनता के हित में फैसला ले. मकान और घरों को तोड़ने से क्या लाभ होगा? सीएम को ये बिल वापस लाना चाहिए. इस बिल को नहीं लाना चाहिए.
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यहां रहने वाले लोगों ने साफ कहा कि आज की तारीख में मकान बनाना आसान नहीं है. अब अगर इन मकानों पर बुलडोजर चल जाएगा. जो बच्चे कभी योगी जी-मोदी जी कहते थे, आज वह अपने घरों को लेकर डरे हुए हैं और उनको नींद भी नहीं आ रही है. यहां हर कोई खौफ में रह रहा है. सभी को अपने-अपने परिवार और घरों की चिंता हो रही है.
नजूल संपत्ति को समझिए
नजूल संपत्ति यानी नजूल की जमीन का अर्थ ऐसी जमीनों से है जिनका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसे में राज्य सरकार इन जमीनों को अपने कब्जे में ले लेती हैं. इसका संबंध अंग्रेजी राज के समय से है. दरअसल जिन लोगों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी, उनका विरोध किया और बगावत की, उनकी जमीनों पर अंग्रेजी सरकार ने कब्जा कर लिया.
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आजादी के बाद जिन लोगों ने अपनी-अपनी जमीनों को लेकर दावा किया, उन्हें ही उनकी जमीन वापस दी गई. मगर ऐसी भी हजारों-लाखों संपत्ति थी, जिनपर किसी ने कोई दावा नहीं किया. ऐसे में वह संपत्ति राज्य सरकारों के पास चली गईं और राज्य सरकार के अधीन आ गईं.
कैसे विधानसभा में पास हुआ और विधान परिषद में अटका ये बिल?
बता दें कि नजूल संपत्ति विधेयक का कांग्रेस और सपा विरोध कर रही थी. विपक्षी दलों द्वारा इसको लेकर आंदोलन की चेतावनी तक दे दी गई थी. सिर्फ कांग्रेस-सपा नहीं बल्कि भाजपा सरकार के विधायक भी इस बिल को लेकर नाराज थे और खुश नहीं थे. उन्हें डर था कि इसका खामियाजा चुनावों में उन्हें मिलेगा. इस बिल को लेकर कई विधायकों और मंत्रियों ने खुद मुख्यमंत्री योगी से बात की. ऐसे में योगी सरकार ने इस बिल को रोकना चाहा. मगर सरकार इसका क्रेडिट विपक्ष को नहीं देना चाहती थी.
ऐसे में जिस वक्त ये बिल विधानसभा में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पेश कर रहे थे, उसी वक्त विधान परिषद में विधान परिषद के सदस्य और यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग कर डाली. इस मांग को फौरन मान लिया गया और इस बिल को प्रवर समिति में भेज दिया गया.
ये वीडियो देखिए
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