4 को गोली मारने वाले RPF जवान चेतन का ‘योगी-मोदी’ बोलते वीडियो वायरल, घरवालों ने ये बताया

मदन गोपाल

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Uttar Pradesh News: जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में मुंबई के पालघर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में फायरिंग कर चार लोगों को मौत के घाट उतराने का आरोपित आरपीएफ जवान चेतन सिंह (Chetan Singh) उत्तर प्रदेश के मथुरा का रहने वाला था. चेतन का परिवार मथुरा के थाना हाईवे स्थित मैन सिटी में रहता है. यूपी तक की टीम मथुरा स्तिथ चेतन के घर पहुंची और वहीं मौजूद लोगों से बातचीत करने की कोशिश की. परिवार का कोई भी मीडिया से किसी भी तरह से कोई भी बात करने को तैयार नहीं था. बमुश्किल उनके साले की पत्नी वह सासू और सासू मां ने कुछ जानकारी दी.

चेतन सिंह के परिवार ने कही ये बात

यूपी तक को चेतन के साले की पत्नी और सासू मां ने गेट के अंदर से ही सही बताया कि, ‘चेतन मानसिक रूप से परेशान था और उनका इलाज चल रहा था. पिछले अप्रैल से वह इस मकान में रह रहे था और सबके साथ उसका व्यवहार ठीक था. सबके साथ वह घुल मिलकर रहता था. पर यह सब कैसे हुआ इसका हमें कोई अंदाजा नहीं. चेतन के भाई लोकेश भी मथुरा में ही रहते हैं और ट्रक ड्राइवर का काम करते हैं. चेतन के पिता का देहांत होने के बाद चेतन को यह नौकरी मिली थी. चेतन पिछले 14 साल से नौकरी कर रहे था और कभी उनका अपने साथियों के साथ कोई लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ. पर यह अचानक कैसे हो गया ऐसा हम लोगों की समझ में भी नहीं आ रहा है.’

वायरल वीडियो पर उठे सवाल

बता दें कि जयपुर से मुंबई जा रही ट्रेन में सोमवार को महाराष्ट्र के पालघर स्टेशन के RPF कॉन्स्टेबल ने फायरिंग कर दी. इस गोलीबारी में आरपीएफ के ASI और तीन यात्रियों की मौत हो गई. आरोपी कॉन्स्टेबल चेतन को गिरफ्तार कर लिया गया है. उससे पूछताछ जारी है. इसी बीच ट्रेन के अंदर का एक वीडियो सामने आया है. इसके बाद दावा किया जा रहा है कि आरोपी ने सांप्रदायिक नफरत की वजह से बाकी तीन मृतकों पर गोली चलाई. इसी वीडियो में एक घायल ट्रेन के फर्श पर खून से लथपथ कराहता दिख रहा है. उसी के सामने आरोपी चेतन कुमार अपनी राइफल लिए खड़ा है और ट्रेन में मौजूद लोगों से कह रहा है.

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चेतन सिंह के इस वीडियो को शेयर करते हुए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी कई तरह के सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि, ‘अगर ये कहना कि हिंदुस्तान में रहना है तो मोदी, योगी या ठाकरे को वोट दो. मानसिक बीमारी की निशानी है तो ना जाने वतन-ए-अज़ीज़ के कितने लोग मरीज़ हैं. अगर वो मानसिक रूप से बीमार था तो उसे ड्यूटी पर क्यों रखा गया?’

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