किस एक दस्तावेज की कमी से प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हाई कोर्ट को टालना पड़ा अपना फैसला?

संतोष शर्मा

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22 साल पहले लखीमपुर के तिकुनिया में हुई प्रभात गुप्ता की हत्या के मामले में एक मामूली चूक से इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का फैसला कुछ दिनों के लिए फिर टल गया है. बेंच ने निर्णय सुनाने से पहले जब दोनों ही पक्षों के वकील बुलाकर कुछ बिंदुओं पर सवाल जवाब किया तो पता चला कि जिस संतोष गुप्ता की रिव्यू पिटीशन पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी उस संतोष गुप्ता की पिटिशन दाखिल होने के 1 साल बाद ही मौत हो गई. याचिकाकर्ता की मौत के बाद केस के पैरोकार राजीव गुप्ता की तरफ से कोई वकालतनामा दाखिल ही नहीं किया गया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच अब इस मामले में अगले साल के जनवरी महीने में सुनवाई करेगी.

बता दें कि प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) टेनी आरोपी हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 अक्तूबर को एमपी-एमएलए कोर्ट की डबल बेंच ने फैसला सुरक्षित किया था.

गौरतलब है कि 2000 में लखीमपुर खीरी जिले में प्रभात गुप्ता नामक युवक की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अजय मिश्र टेनी और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने सुबूतों के अभाव में 2004 में सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया था.

राज्य सरकार ने 2004 में ही निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इसी तरह की एक याचिका राजीव गुप्ता नामक व्यक्ति ने भी दाखिल की थी. दोनों ही अपीलों को अदालत में सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था. लंबी प्रक्रिया के 9 नवंबर 2022 को मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. दोनों ही पक्षों ने अपनी अपनी अपीलों पर दलीलें दी थीं, जिन्हें सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

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