मैंने बाबाजी की मालिश की है और उनकी 52 कलाएं देखी हैं... भोले बाबा के भक्त ने क्या-क्या बताया?

देवेश सिंह

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Hathras stampede: हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र में मंगलवार को एक सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई है. यह एक चर्चित बाबा, नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग था, जिसमें कथित तौर पर उनके पैरों की धूल लेने और उन्हें छूने के लिए भगदड़ मच गई. अंध श्रद्धा में लोगों का हुजूम टूटा जो सैकड़ों लोगों का काल बन गया. इस मामले में FIR दर्ज हो चुकी है, लेकिन इसमें भोले बाबा का नाम नहीं है. समाजवादी पार्टी ने इसपर सवाल उठाए हैं. इस बीच भोले बाबा को लेकर उनके भक्त और श्रद्धालु अनेक कथित चमत्कारिक दावे कर रहे हैं. 

यूपी Tak इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए कासगंज जिले के बहादुरपुर गांव पहुंचा. इसी गांव में भोले बाबा का जन्म बताया जा रहा है. भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है और करीब दो दशक पहले वह पुलिस की नौकरी छोड़ सत्संग के काम में आए थे. भोले बाबा से जुड़ी इस जानकारी को यहां (Bhole Baba) क्लिक कर पढ़ा जा सकता है.

भक्त गेंदालाल का दावा- मैंने बाबाजी का मालिश की और उनकी 52 कलाएं देखीं

भोले बाबा के गांव बहादुरपुर में हमें उनका एक भक्त मिला. इन्होंने अपना नाम गेंदालाल बताया. गेंदालाल ने हमें बताया, 'मुझे ऐसी मर्ज थी जो ठीक नहीं हो रही थी. फिर मैं बाबा के पास आगरा गया. वहां मेरा मर्ज खत्म हो गया. बाबा जी को मैं यहीं लेकर आया. बाबा के पास 52 कलाएं हैं. मैंने बाबा जी की मालिश की है. सारी कलाएं देखी हैं. कभी शिवजी, कभी हनमुान, कभी श्रीकृष्ण, कभी साईं बाबा के रूप में मैंने उन्हें देखा है.'

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लोगों की मौत के लिए लोग ही जिम्मेदार: भक्त गेंदालाल

गेंदालाल का दावा है कि भोले बाबा पहले अलीगढ़ में पुलिस में भर्ती हो गए. फिर सीबीआई इंस्पेक्टर बन गए. फिर सत्संग करने लगे. वह साफ कहते हैं कि, 'भगदड़ में जो लोगों की मौत हुई वह कुदरत की देन है, जैसा लिखा है वैसे ही मौत होगी. काल आएगा तो कोई रोक नहीं पाएगा. जनता ही मौत की जिम्मेदार है. बाबाजी कहते हैं कि मैं भीड़ इकट्ठा नहीं करना चाहता हूं. जनता खुद अपनी आप गिरी है.'

गेंदालाल का दावा- बाबा के पास पुश्तैनी 15 बीघे की खेती, जहां जाते हैं उसी का अन्न खाते हैं

गेंदालाल ने बताया कि भोले बाबा 3 भाई थे, लेकिन अब भाइयों से कोई संबंध नहीं है. कोई संपत्ति नहीं ली. वो सबकुछ त्याग दिए हैं. उनके पास पुश्तैनी संपत्ती करीब 15 बीघा है. उसी का अन्न खाते हैं. अगर कहीं बाहर जाते हैं, तो यहीं से जल जाता है. यहीं का निवाला खाते हैं. गेंदालाल की मानें तो भोले बाबा सबको देते हैं, किसी से कुछ नहीं लेते हैं. 

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