UP: जेल से बाहर आएगा कुलदीप सिंह सेंगर, कोर्ट ने बेटी की शादी के लिए दी जमानत

भाषा

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को उनकी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए सोमवार को अंतरिम जमानत दे दी. उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 2017 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के जुर्म में सेंगर उम्र कैद की सजा काट रहा है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बंबा की पीठ ने 27 जनवरी से 10 फरवरी तक के लिए सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया. साथ ही पीठ ने सेंगर को अपनी रिहाई की अवधि के दौरान दैनिक आधार पर संबंधित थाना अधिकारी को रिपोर्ट करने और एक एक लाख रुपये की दो जमानत देने को कहा.

सेंगर की ओर से उच्च न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और पी के दुबे ने अदालत को सूचित किया कि शादी की रस्में और समारोह गोरखपुर और लखनऊ में आयोजित किए जाएंगे और परिवार का एकमात्र पुरुष सदस्य होने के नाते सेंगर को ही व्यवस्था करनी होगी.

सेंगर ने पहले अदालत को सूचित किया था कि शादी आठ फरवरी को होगी. सीबीआई के वकील ने कहा कि एजेंसी ने एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है और यह पाया गया है कि शादी समारोहों के लिए दो हॉल बुक किए गए हैं. उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील उच्च न्यायालय में लंबित है. उन्होंने निचली अदालत के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था. सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 के उस आदेश को रद्द करने की भी मांग की है, जिसमें उन्हें ताउम्र कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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निचली अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था. यह धारा एक लोक सेवक द्वारा बलात्कार के अपराध से संबंधित है, जो अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाते हुए महिला से बलात्कार करता है.

अदालत ने सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए कहा था कि दोषी पूरा जीवन जेल में बिताएगा. साथ ही सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. सेंगर ने 2017 में लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया था, तब वह नाबालिग थी. उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामले की सुनवाई उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित की गई. पांच अगस्त, 2019 को शुरू होने के बाद सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर की गई. शीर्ष अदालत ने एक अगस्त, 2019 को भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए बलात्कार पीड़िता के पत्र का संज्ञान लेते हुए, उन्नाव बलात्कार की घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की एक अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था. दैनिक आधार पर इसकी सुनवाई करने तथा इसे 45 दिनों में पूरा करने का निर्देश दिया था.

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