यूपी चुनाव पर निशाना, ‘दिवाली मेला’ का आयोजन करेगी योगी सरकार, जानें इसके सियासी मायने

शिल्पी सेन

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यूपी में 2022 के लिए सियासी घमासान जारी है. ऐसे में योगी सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रदेश भर में दीपावली मेले का आयोजन कर रेहड़ी पटरी दुकानदारों (street vendors) को रोजगार देने की योजना बनाई है. 28अक्टूबर से 3-4 नवंबर तक होने वाले इन मेलों पर सरकार के साथ पार्टी की भी नज़र है. इसके ज़रिए वोकल फ़ॉर लोकल (vocal for local) नारे को साकार कर पार्टी मोदी और योगी सरकार के उन फ़ैसलों को भी सामने लाना चाहती है, जिनसे रेहड़ी पटरी दुकानदारों को लाभ हुआ है.

उत्तर प्रदेश में होंगे 217 दिवाली मेले

चुनावी वर्ष में पहली बार योगी सरकार ‘ दिवाली मेले’ का आयोजन कर रही है. नगर विकास विभाग के तहत होने वाले ये मेले 17 नगर निगम और 200 पालिका परिषद में होंगे. 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक इनका आयोजन किया जाएगा. इसके लिए हर जगह स्थान निर्धारित कर तैयारी की जा चुकी है. लखनऊ में इस दिवाली मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे, जबकि दूसरी जगह सांसद, ज़िले के प्रभारी मंत्री भी दिवाली मेले में शामिल होंगे. जो रेहड़ी पटरी विक्रेता अपना सामान 4 नवंबर तक बेचना चाहते हैं, उनको इसकी भी छूट होगी.

इस दौरान मेलों का आकर्षण बढ़ाने के लिए मेला स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि मेले में अच्छी संख्या में लोग जुटें. इसके लिए न सिर्फ़ सरकार का नगर विकास विभाग बल्कि बीजेपी भी तैयारी कर रही है. BJP ने इसी साल पार्टी में रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ बनाया है. इसके कार्यकर्ता भी वॉलेंटियर के रूप में मेलों में मौजूद रहेंगे. ये कार्यकर्ता जो विक्रेताओं को पीएम स्वनिधि योजना का लाभ बताएंगे.

चुनावी वर्ष में खास है दिवाली मेला

यूं तो वोकल फ़ॉर लोकल का मंत्र पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया था और लगातार स्थानीय और स्वदेशी की बात भी होती रही है. पर दीपावली में चीन के सामानों का बाजार पर कब्जा दिखता था. अब योगी आदित्यनाथ सरकार यूपी में दिवाली पर हर नगर निगम और नगर पालिका परिषद में सरकार की तरफ से स्थानीय दुकानदारों और छोटे व्यापारियों को मदद देने की पहल के साथ इस मेले का आयोजन करने जा रही है. खुद मुख्यमंत्री अपने भाषणों में लगातार छोटे स्वदेशी दीये, मूर्ति और अन्य सामान की वकालत कर रहे हैं.

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यूपी बीजेपी के रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ के संयोजक अजीत प्रताप सिंह कहते हैं ‘इनके लिए जो काम हुआ है मोदी जी ने किया है. इससे इनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है. बीजेपी का उद्देश्य ही है कि स्ट्रीट वेंडर्ज़ के हितों की रक्षा की जाए. इस दिवाली मेले से इनको मौक़ा मिलेगा, जबकि इससे पहले की सरकारों में पटरी दुकानदारों को पुलिस बहुत प्रताड़ित करती थी.’

बीजेपी ने पूर्व प्लानिंग करते हुए इनको लेकर कई कदम उठाए हैं. बीजेपी ने इसी साल रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ का गठन किया है. साथ ही पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों से भी पार्टी संपर्क कर रही है. पार्टी यह मानकर भी चल रही है कि 2014 में जो मोदी सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्ज़ ऐक्ट (Street Vendors Act) पारित किया है, इससे भी पटरी दुकानदारों को लाभ मिला है. यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक कहते हैं ‘हमारा मंत्र ही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और….सबका प्रयास. इन पटरी दुकानदारों और छोटे व्यवसायियों का प्रयास भी अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है. और सबके प्रयास से इनको रोज़गार मिले, ये भी हम चाहते हैं. हम इनको उचित स्थान देने की कोशिश कर रहे हैं.’

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चुनावी साल में ख़ास है ये प्रयास

इधर समाजवादी पार्टी विजय यात्रा के ज़रिए लोगों तक पहुंचने की शुरुआत कर चुकी है और दीपावली के बाद इसमें तेज़ी आएगी. तो वहीं कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा के ज़रिए लोगों से संपर्क कर रही है. प्रियंका गांधी के फ़ैसलों को देखते हुए कहा जा रहा है कि दिवाली भी वो कार्यकर्ताओं के बीच ही मनाएंगी. उनकी योजना में महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं. पर राजनीतिक यात्राओं को कभी अपना स्टाइल बनाने वाली बीजेपी इस दिवाली वन टू वन संपर्क के लिए न सिर्फ़ अभियान चला रही है बल्कि मेले के ज़रिए एक बड़े वर्ग पटरी दुकानदार और छोटे व्यापारियों तक पहुंचने की।कोशिश में है. चुनावी वर्ष में इस आयोजन को भले ही सिर्फ़ सरकार की तरफ से रेहड़ी पटरी दुकानदार वर्ग के रोज़गार और बिक्री के प्रयास के तौर पर प्रचारित किया जाए पर इसके सियासी महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता.

प्रदेश के नगरी क्षेत्रों में पटरी व्यवसायियों की संख्या क़रीब 50 लाख है. BJP रेहड़ी पटरी व्यवसाय प्रकोष्ठ के संयोजक अजीत प्रताप सिंह कहते हैं, ‘रेहड़ी पटरी वालों का आज तक किसी पार्टी ने नाम नहीं लिया. मोदी जी के आने के बाद जो अभियान चले उससे उनको सम्मान मिला. बीजेपी सरकार में ही 2017 में रेहड़ी पटरी समिति बनी, यानी इनकी सामाजिक पहचान  बनाने के लिए काम किया गया. इसलिए ये लोग सिर्फ़ बीजेपी के साथ हैं।’

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