घने कोहरे में ट्रेनों को चलाने में मदद करती है यह डिवाइस, जानिए कैसे काम करता है ये

उदय गुप्ता

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है और इस मौसम में पड़ने वाला कोहरा एक तरफ जहां आम लोगों को परेशान करता है, वहीं इसका एक बड़ा असर रेल यातायात पर भी पड़ता है. घने कोहरे की वजह से विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है और ऐसे में ट्रेनों को चलाना बड़ा ही मुश्किल भरा काम होता है.

घने कोहरे के कहर से बचने के लिए भारतीय रेलवे तमाम तरह के इंतजाम करता रहता है, ताकि ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाया जा सके. घने कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए एक के यंत्र का इस्तेमाल रेलवे करती है. इस डिवाइस के इस्तेमाल से लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी मदद मिलती है, जिसे फाग सेफ डिवाइस कहते हैं.

आइए जानते हैं कि फाग सेफ डिवाइस क्या होता है और यह कैसे काम करता है. हम आपको यह भी बताएंगे कि इस डिवाइस के इस्तेमाल से ट्रेनों को चलाने में कैसे मदद मिलती है.

क्या होता है फाग सेफ डिवाइस

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

फाग सेफ डिवाइस एक बैटरी ऑपरेटेड यंत्र होता है जिसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है. इसमें जीपीएस की भी सुविधा होती है. इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है.

यह एंटीना इस डिवाइस मे सिग्नल को रिसीव करने के लिए लगाया जाता है. इसमें एक मेमोरी चिप लगा होता है जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है. खास बात यह होती है कि इसमें रूट में पढ़ने वाले लेवल क्रॉसिंग जनरल क्रॉसिंग सिग्नल और रेलवे स्टेशन तक की जानकारी पहले से ही फीड होती है.

इस तरह से काम करता है फाग सेफ डिवाइस

ADVERTISEMENT

दरअसल, ट्रेनों का परिचालन सिग्नल प्रणाली के आधार पर किया जाता है. घने कोहरे के चलते सिग्नल दिखाई नहीं देता है, जिसकी वजह से ट्रेनों को चलाने में काफी परेशानी होती है. ऐसे में घने कोहरे के दौरान ड्राइवर को सिग्नल ढूंढने में काफी परेशानी होती थी और ट्रेनों को काफी कम गति से चलाना पड़ता था, ताकि सिग्नल क्रास न हो सके. लेकिन फाग सेफ डिवाइस के इजाद होने के बाद ट्रेन के चालकों को काफी सहूलियत मिलती है.

ADVERTISEMENT

इस डिवाइस के माध्यम से लोको पायलट को न सिर्फ आगे आने वाले सिग्नल की जानकारी मिल जाती है, बल्कि रास्ते में पड़ने वाले तमाम तरह के क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों की भी जानकारी पहले ही मिल जाती है. क्योंकि इस डिवाइस में उस रूट में पड़ने वाले तमाम सिग्नल स्टेशन और लेवल क्रॉसिंग आदि की जानकारी पहले से ही फीड रहती है.

उदाहरण के तौर पर अगर दिल्ली से पटना के लिए इसका रूट सलेक्ट किया जाता है, तो दिल्ली से पटना के बीच में पड़ने वाले तमाम सिगनल्स, लेवल क्रॉसिंग, रेलवे क्रॉसिंग, और स्टेशनों की जानकारी इस डिवाइस में पहले से ही फीड रहती है.

इस डिवाइस को इस्तेमाल करने से पहले इसमें रूट को सेलेक्ट किया जाता है. ट्रेन जब चलती है तो यह डिवाइस 3 किलोमीटर पहले मैसेज देता है कि 3 किलोमीटर के बाद सिग्नल, क्रॉसिंग या स्टेशन आने वाला है. इसके बाद इस डिवाइस में दूसरा सिग्नल तब मिलता है जब ट्रेन किसी लेवल क्रॉसिंग, स्टेशन या सिग्नल से ट्रेन 500 मीटर दूर रहती है. इस डिवाइस से मिले सिग्नल के आधार पर लोको पायलट सतर्क हो जाता है और ट्रेन को चलाने में आसानी होती है.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के चीफ क्रू कंट्रोलर सुमित कुमार भट्टाचार्य बताते हैं कि फाग सेफ डिवाइस ट्रेनों को चलाने का एक सहायक यंत्र है.जिसके इस्तेमाल से ट्रेनों को चलाने में लोको पायलट को काफी सहूलियत मिलती है.

चंदौली: रिवर रैचिंग के तहत गंगा में छोड़े गए 1.4 लाख मछलियों के बीज, पशुपालकों को होगा लाभ

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT